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धुआं और धमाकों से मची चीखपुकार

जागरण संवाददाता, कानपुर : काकादेव स्थित हास्टल में गुरुवार तड़के आग का मंजर देख हर कोई सहम गया। चारों

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Jul 2017 01:29 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jul 2017 01:29 AM (IST)
धुआं और धमाकों से मची चीखपुकार
धुआं और धमाकों से मची चीखपुकार

जागरण संवाददाता, कानपुर : काकादेव स्थित हास्टल में गुरुवार तड़के आग का मंजर देख हर कोई सहम गया। चारों तरफ धुआं और चीखपुकार, बीच-बीच में कार के टायर फटने से हो रहे धमाके। पहली मंजिल पर हास्टल मालिक का परिवार बचाओ-बचाओ पुकार रहा था तो ग्राउंड फ्लोर से छात्रों की आवाजें आ रही थीं। एक घंटे बाद जब आग बुझी तो एकदम सन्नाटा हो गया। पड़ोस के घर से दीवार तोड़कर और मास्क लगाकर जब दमकल कर्मी पहुंचे तो ग्राउंड फ्लोर व दूसरी मंजिल पर छात्र और पहली मंजिल पर परिवार की महिलाएं व बच्चे बेहोश पड़े थे।

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दिल दहला देने वाला मंजर देख आसपास की महिलाएं और छात्राएं फफक पड़ीं। पड़ोसियों ने साहस जुटाकर हास्टल मालिक के परिवार के आठ सदस्यों और पांच छात्रों की जान बचा ली। पड़ोस में रहने वाले रक्षा कर्मी त्रिभुवन नाथ निगम की पत्नी मधु ने बताया कि टायर फटने की आवाज हुई तो उन्हें घटना का पता लगा। इसके बाद तुरंत उन्होंने पति को जगाया। बाहर जाकर देखा तो धर्मेद्र और छात्रों की आवाजें आ रही थीं। कमरों में सो रहे छात्रों को उठाया और मोटर चलाकर पानी डालना शुरू किया। मगर, दस मिनट में ही बिजली चली गई। तब बाल्टियों से पानी डालना शुरू किया। आसपास के सभी घरों में धुआं भर गया था। सांस लेना मुश्किल हो गया। टायर फटने से बार-बार राहत कार्य में दिक्कत हो रही थी।

(इनसेट बाक्स)

मगर, किसी का नहीं उठा फोन

हास्टल के सामने रहने वाले रवींद्र सिंह ने बताया कि तड़के करीब तीन बजे कार के टायर फटे तो लगा जैसे किसी ने पटाखा फोड़ दिया। लगातार चार धमाकों से नींद टूट गई। बाहर निकले तो चीखपुकार मची हुई थी। उन्होंने मोबाइल से 100, 101 और 108 नंबर मिलाया। किसी का फोन नहीं मिला। तब काकादेव थाने जाकर सूचना दी। इसके बाद 3.35 बजे फायर ब्रिगेड की गाड़ी आ गई।

जलती कार ने रोका रोस्ता

हास्टल की ऊपरी मंजिल पर सो रहे छात्र अरविंद ने बताया कि धुएं से दम घुटने लगा। हम मकान के पीछे की ओर भागे। पीछे मस्जिद की दीवार से नीचे उतरकर जान बचाई। कुछ छात्र पड़ोसी की ओर से लगाई गई सीढ़ी से नीचे उतरे। पुलिस के अनुसार घटना के वक्त सभी गहरी नींद में थे। आग लगने से धुआं भरा और दम घुटा तो संभवत: कमरों से निकलकर छात्र पहले बाहर की ओर भागे। मगर, गैलरी के आगे जल रही कार के चलते उन्हें रास्ता नहीं मिला। अंदर गए तो बेहोश हो गए।


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