मौत भी चाहती, इंसाफ के लिए लड़े 'वो'
गौरव दीक्षित, कानपुर आइए, शोहदे और बेपरवाह सिस्टम की सताई एक बेटी की आंखों देखी कहानी सुनाते हैं।
गौरव दीक्षित, कानपुर
आइए, शोहदे और बेपरवाह सिस्टम की सताई एक बेटी की आंखों देखी कहानी सुनाते हैं। एक ऐसी बेबस बेटी, जो न्याय के लिए लड़ते-लड़ते थक चुकी है और अब जीना नहीं चाह रही। गुरुवार को उसने तीसरी बार जान देने की कोशिश की। जयपुरिया क्रासिंग पर तेज रफ्तार ट्रेन के आगे कूद गई लेकिन मौत ने उसे नहीं अपनाया। पूरी ट्रेन गुजरने के बावजूद उसे खरोंच तक नहीं आई। मानों मौत भी चाहती है कि वह हारे नहीं बल्कि इंसाफ के लिए अपनी लड़ाई जारी रखे। हालांकि मौत से बची बेटी की मां की यह बात 'मेरी बेटी के लिए मौत ही आखिरी रास्ता है' यह बताने के लिए काफी है कि परिवार का भरोसा सिस्टम से उठ चुका है।
कुछ देर के लिए सांसें थाम देने वाली ये घटना दोपहर सवा दो बजे की है। जींस-टॉप पहने एक बदहवास सी 22 वर्षीय लड़की जयपुरिया रेलवे क्रॉसिंग के पास रेलवे ट्रैक पर इधर से उधर घूम रही थी। इसी वक्त लखनऊ की ओर से राप्ती सागर एक्सप्रेस उधर से गुजरी। जब तक कोई समझ पाता, लड़की ने स्पीड से दौड़ से रही ट्रेन के आगे छलांग लगा दी। देखने वालों के मुंह से केवल हाय शब्द निकल सका, क्योंकि उन्हें भी मालूम था कि 80 किमी. प्रतिघंटा की रफ्तार से दौड़ रही ट्रेन के आगे कूदने का अंजाम क्या होगा लेकिन ट्रेन गुजरी तो युवती कपड़े झाड़-पोंछकर ट्रैक पर फिर खड़ी हो गई। लोगों के आश्चर्य का ठिकाना न था, लेकिन अगला पल और विस्मृत करने वाला था। उसी समय कानपुर की ओर से आ रही एक मालगाड़ी की ओर युवती ने दौड़ लगा दी, लेकिन तब तक लोग माजरा समझ चुके थे। एक बार फिर जिंदगी और मौत के बीच जंग शुरू हुई, मौत फिर हारी। गेटमैन अर्शी की कोशिशों के चलते मालगाड़ी से चंद कदम पहले ही बचाने वाले के हाथ युवती तक पहुंच गए। युवती चिल्ला रही थी कि उसे जिंदगी नहीं मौत चाहिए। किसी तरह लोग उसे उठाकर क्रॉसिंग के केबिन तक लाए। पुलिस को सूचना दी गई। काफी समझाने के बाद युवती पुलिस के साथ चलने को तैयार हुई। पुलिस ने देर शाम युवती को उसके परिजनों के हवाले कर दिया।
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सुसाइड नोट की कहानी, युवती की जुबानी
वह क्यों मरना चाहती थी, हर कोई वजह जानना चाहता था, लेकिन युवती ने होंठ सिल रखे थे। यहां तक कि उसने अपना नाम भी किसी को नहीं बताया। वह केवल इंसाफ की गुहार लगाए जा रही थी। 'संवाददाता' के तमाम प्रयासों के बाद उसने जींस की जेब से एक पन्ना निकाला और थमा दिया। बोली, यही है मेरी बदरंग जिंदगी की कहानी, पढ़ लीजिएगा। युवती की जुबानी बना सुसाइड नोट हमारे समाज की वह स्याह तस्वीर है, जिसे बेहतर दिखाने का दावा हर सरकार करती है। बकौल युवती, वह मूलरूप से शुक्लागंज की रहने वाली है। उसका नाम सरिता तिवारी है। पिता ई-रिक्शा चलाते हैं। मां-बाप की अकेली संतान है। गांधी नगर में वह एक किराए के मकान में रहती थी। मकान मालिक के बेटे ने उससे छेड़छाड़ शुरू की। छेड़छाड़ का विरोध ही उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती साबित हुई। राह चलते उसे तंग किया जाता। अश्लील फब्तियां कसी जातीं। उसने घर वालों को बताया। इसके बाद वह दूसरे मकान में जाकर किराए पर रहने लगे। आरोप है कि पूर्व मकान मालिक के लड़के ने यहां भी उसका पीछा नहीं छोड़ा। उसे बदनाम करने और बाहरी लड़कों द्वारा छेड़खानी का क्रम चल रहा। नतीजा, एक के बाद एक उसे तीन और घर बदलने पड़े। दो माह पहले शुक्लागंज छोड़ परिवार कैंट के शिवकटरा में रहने लगा। पुराने मकान के मालिक का लड़का यहां भी आ पहुंचा। मजबूरी में उसने मरने का फैसला कर लिया। सुसाइड नोट में युवती ने पिता की बीमारी के दौरान उर्सला व एलएलआर अस्पताल (हैलट) में भी तंग किए जाने और जिस स्कूल में वह पढ़ाती थी, वहां के संचालकों द्वारा उसे प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है।
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फिर करूंगी जान देने की कोशिश
सरिता ने बताया कि इसके पहले भी दो बार उसने जान देने की कोशिश की। वह दो बार गंगा पुल से गंगा में छलांग लगा चुकी है, लेकिन हर बार उसे बचा लिया गया। पिछली नाकाम कोशिशों की वजह से इस बार उसने ट्रेन के आगे कूदकर जान देने की कोशिश की। उसने कहा कि अगर आरोपी युवक पर कार्रवाई नहीं हुई तो वह फिर जान देने की कोशिश करेगी।
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शोहदे को पुलिस की शह, लड़की बता दी चरित्रहीन
सरिता ने बताया कि वह शुक्लागंज पुलिस के पास भी गई, लेकिन पुलिस ने कार्रवाई के बजाय उसे ही चरित्रहीन बता दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाने लखनऊ भी पहुंची, पर वहां से भी भगा दिया गया। सरिता मौके पर मुख्यमंत्री को बुलाने की जिद कर रही थी। पुलिस ने जब उसे डीआइजी सोनिया सिंह से मिलाने का भरोसा दिलाया तो वह मानी।
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मां-बाप बोले मौत ही इसका अंजाम
सूचना पर सरिता के मां-बाप कैंट थाने पहुंचे। मां ने पुलिस को बताया कि जो भी उसकी बेटी के साथ हो रहा है, उसका अंजाम मौत ही है। कोई सुनवाई को तैयार नहीं है। बदनामी और मुश्किलों ने उसके परिवार का जीना मुहाल कर दिया है।