बिजली सप्लाई स्मार्ट बनाएगा आइआइटी
विक्सन सिक्रोड़िया, कानपुर : आने वाले समय में बिजली चोरी नहीं की जा सकेगी। फाल्ट व बढ़ते लोड का पता भ
विक्सन सिक्रोड़िया, कानपुर : आने वाले समय में बिजली चोरी नहीं की जा सकेगी। फाल्ट व बढ़ते लोड का पता भी पलक झपकते लग जाया करेगा। इससे ट्रांसफार्मर जलने से बचाए जा सकेंगे। देश की बिजली व्यवस्था को स्मार्ट बनाने के लिए आइआइटी कानपुर को 50 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट मिला है। इस पर आइआइटी के अलावा अन्य नामीगिरामी संस्थान भी काम कर रहे हैं। इनमें डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलाजी के अलावा अमेरिका का डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी भी शामिल है।
विद्युत विशेषज्ञों का सर्वेक्षण बताता है कि वर्ष 2030 तक देश में बिजली का कुशल वितरण व प्रबंधन करना मुश्किल हो जाएगा। जलवायु परिवर्तन, सिस्टम सुरक्षा व अक्षय ऊर्जा को बचाए रखना बड़ी चुनौती होगी। बिजली की इन्हीं चुनौतियों से निपटने के लिए शोध कार्य शुरू हो चुका है। इसके अंतर्गत सौर ऊर्जा का अधिक से अधिक इस्तेमाल करने के साथ स्मार्ट माइक्रो ग्रिड बनाने पर काम होगा। जिससे बिजली व्यवस्था को न केवल दुरुस्त बल्कि बेहद आधुनिक बनाया जा सके।
सेंसर व वायरलेस कम्युनिकेशन का होगा इस्तेमाल :
इस प्रोजेक्ट में शामिल आइआइटी के प्रोफेसर व मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय गोरखपुर के कुलपति प्रो. एसएन सिंह बताया कि लोगों को भरपूर बिजली मिले इस दिशा में काम किया जा रहा है। सेंसर, वायरलेस कम्युनिकेशन, मोबाइल कम्युनिकेशन समेत अन्य उपकरणों के इस्तेमाल से बिजली व्यवस्था को स्मार्ट बनाया जाएगा। आइआइटी व देश के अन्य संस्थानों के साथ अमेरिका का डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी भी इस पर काम कर रहा है।
वाटर रिसोर्स पर भी काम करेगा आइआइटी कानपुर :
इंपेक्टिंग रिसर्च इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी (इमप्रिंट) के अंतर्गत आइआइटी कानपुर को एडवांस मैटेरियल व वाटर रिसोर्स एंड रीवर सिस्टम पर कार्य करने का जिम्मा दिया है। वह इन पर अनुसंधान योजनाएं विकसित कर रहा है। आइआइटी निदेशक प्रो. इंद्रानिल मन्ना ने बताया कि इमप्रिंट का पहला चरण खत्म होने वाला है। इमपि्रंट-2 का डीपीआर तैयार किया जा रहा है। इस चरण के छह महीने के अंदर शुरू होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि पानी की बढ़ती समस्या को दूर करने के लिए आइआइटी शोध कार्य कर रहा है जिसके कई सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।