स्टॉक की लिखापढ़ी में जुटे कारोबारी
जागरण संवाददाता, कानपुर : जीएसटी लागू होने में अभी नौ दिन शेष हैं लेकिन तमाम कारोबारी अभी से अपने स्
जागरण संवाददाता, कानपुर : जीएसटी लागू होने में अभी नौ दिन शेष हैं लेकिन तमाम कारोबारी अभी से अपने स्टॉक की लिखापढ़ी में जुट गए हैं। उनका मानना है कि जितनी जल्दी लिखापढ़ी पूरी कर लेंगे, बाद में उतने ही सुकून से कारोबार कर सकेंगे। कारोबारियों को जिस स्टॉक की इनपुट क्रेडिट चाहिए होगी, उसका ब्यौरा उन्हें देना होगा। स्टॉक के रखरखाव में वे कारोबारी काफी आराम में हैं जो एक या दो वस्तुओं का ही कारोबार करते हैं। ऐसे कारोबारी, जिनके बड़ी संख्या में यहां छोटी-बड़ी वस्तुएं होती हैं, उनके लिए मुश्किल है। किराना, आटोमोबाइल्स, दवाओं की बिक्री करने वाले व्यापारियों के लिए यह समस्या ज्यादा होती है कि उनका कितना सामान बिका और कितना नहीं। कई कारोबारियों ने बाजार की बंदी के दिन इस काम को निपटाना शुरू कर दिया है ताकि उनका काम भी न रुके।
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स्टाक की गिनती करना इतना आसान नहीं है। चाहे वह एक वर्ष का ही स्टाक क्यों न हो। जिस स्टाक की इनपुट क्रेडिट चाहिए, उसका भी एक-एक रसीद से मिलान करना पड़ रहा है।
- अजीत सिंह भाटिया, महामंत्री, गुरुनानक आटोमोबाइल मार्केट।
जो कारोबारी कुछ जिंसों में कारोबार करते हैं, उनके लिए स्टॉक निकालना बहुत मुश्किल नहीं है। हालांकि सीधे ग्राहकों से जुड़े कारोबारियों में स्टॉक निकालना आसान नहीं होता।
- ज्ञानेश मिश्रा, महामंत्री, अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल।
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सिर्फ उतने ही स्टॉक की जानकारी देनी है जिसकी कारोबारी आइटीसी चाहता है। इसके लिए 90 दिनों का समय दिया गया है। स्टाक को लेकर बहुत से नियम और शर्ते लागू हैं।
- संतोष कुमार गुप्ता, अध्यक्ष, टैक्स बार एसोसिएशन।