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लापरवाह कारोबारियों की खराब होगी रेटिंग

जागरण संवाददाता, कानपुर : समय से रिटर्न न भरने और टैक्स न चुकाने वाले व्यापारी अब नहीं छिप सकेंगे। ज

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 May 2017 01:00 AM (IST)Updated: Tue, 30 May 2017 01:00 AM (IST)
लापरवाह कारोबारियों की खराब होगी रेटिंग
लापरवाह कारोबारियों की खराब होगी रेटिंग

जागरण संवाददाता, कानपुर : समय से रिटर्न न भरने और टैक्स न चुकाने वाले व्यापारी अब नहीं छिप सकेंगे। जीएसटी पोर्टल खुद व्यापारियों के बारे में जानकारी दे देगा कि वे कारोबार में अच्छे हैं या खराब। उनकी रेटिंग कोई भी कारोबारी आनलाइन देख सकेगा। यह व्यवस्था उनके लिए अच्छी होगी जो पारदर्शी कारोबार करते हैं। लेनदेन को लेकर उनके आपसी विवाद भी पोर्टल पर साफ दिखेंगे।

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व्यापारी जीएसटी में जब तक पिछले माह का टैक्स नहीं भरेंगे तब तक वे अगले माह का रिटर्न नहीं भर सकेंगे। इसका असर व्यापारी से कारोबार करने वालों पर भी पड़ेगा और उन्हें क्रेडिट इनपुट का लाभ नहीं मिलेगा। क्रेता खरीद की रकम कुछ और भर रहा है और विक्रेता कुछ और तो वह भी पोर्टल पर दिखेगा। जीएसटी आर-1 कारोबारियों को अपनी सेवाओं और सप्लाई को 10 तारीख तक भरना होगा। 11 की सुबह इसमें भरे विवरण खरीदारों के लिंक पर दिखने लगेंगे। अगर कारोबारी ने किसी बिक्री का उल्लेख नहीं किया है तो खरीदार उसे भर सकता है। इसके बाद 16 व 17 तारीख को विक्रेता उस छूटी बिक्री को स्वीकार या अस्वीकार कर सकता है। इसके आधार पर 18 तारीख को टैक्स फाइनल होगा और उसे 20 तक भरना होगा। जीएसटी में क्रेता और विक्रेता को इस तरह जोड़ा गया है कि एक के आंकड़े दर्शाए बिना दूसरा लाभ नहीं ले सकता। कारोबारियों के इन्हीं कार्य व्यवहार का सिस्टम अपने आप रेटिंग करता रहेगा और कोई भी यह देख सकेगा कि खास कारोबारी से कारोबार करना ठीक रहेगा या नहीं।

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अलग-अलग कारोबारियों को माल बेचने वाले व्यापारी पर माह भर में जितना टैक्स बनता है, अगर वह पूरा नहीं भरेगा तो खरीद करने वालों को इनपुट क्रेडिट नहीं मिलेगा। कारोबारी की रेटिंग तो खराब होगी लेकिन दूसरों का धन फंस जाएगा और उन्हें बाकी धन जमा करना होगा।

- प्रदीप अग्रवाल, चेयरमैन टैक्स बार एसोसिएशन स्टडी सर्किल।

समय से रिटर्न और टैक्स न भरने से रेटिंग खराब होती जाएगी। व्यापारियों की आनलाइन रेटिंग कोई भी देख सकेगा। लापरवाह कारोबारियों का व्यापार धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा।

- राजेश गुप्ता, उपायुक्त वाणिज्य कर विभाग


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