Move to Jagran APP

चारागाहों में अब घास ही नहीं, फल-फूल भी

जागरण संवाददाता, कानपुर : चारागाह के नाम पर आरक्षित भूमि पर अब घासफूस की जगह बागवानी होगी। करौंदा,

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 May 2017 01:00 AM (IST)Updated: Wed, 24 May 2017 01:00 AM (IST)
चारागाहों में अब घास ही नहीं, फल-फूल भी

जागरण संवाददाता, कानपुर :

loksabha election banner

चारागाह के नाम पर आरक्षित भूमि पर अब घासफूस की जगह बागवानी होगी। करौंदा, नींबू समेत कई फलों के उत्पादन के लिए पौधरोपण होगा। चारागाहों की भूमि पर कब्जे न हों और पशुओं को नियमित हरा चारा भी मिले, इसके लिए यह कवायद की जा रही है। चारो तहसीलों में नहरों के किनारे वाले पांच- पांच गांवों के चारागाह मॉडल के रूप में लिए जाएंगे। चारागाह के किनारे मेड़बंदी के साथ नाले भी खोदे जाएंगे ताकि सिंचाई के लिए पानी पर्याप्त मात्रा में मिलता रहे।

गांवों में चारागाहों की स्थिति बहुत ही खराब है। ये भूमि ऊसर बंजर पड़ी हुई हैं। वहां झाड़ियां हैं जिन्हें पशु भी नहीं खाते। ऊपर से इन भूखंडों पर कब्जे भी हो रहे हैं। एंटी भूमाफिया स्क्वाड इन भूखंडों को खाली करा रही है। डीएम सुरेंद्र सिंह की कोशिश है कि चारागाहों को संरक्षित किया जाए। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत चारागाहों का विकास होगा और बागवानी का काम होगा। डीएम ने साढ़ गांव में निरीक्षण के दौरान नर्वल के एसडीएम संजय कुमार से कहा है कि वे चारागाहों को जल्द से जल्द चिन्हित कर उन्हें प्रस्ताव भेजें ताकि विकास की प्रक्रिया शुरू कराई जा सके। अन्य तहसीलों से भी प्रस्ताव मंगाया जाएगा। डीएम ने बताया कि मनरेगा योजना से जल संरक्षण के लिए चारो तरफ मेड़बंदी हो जाएगी। पौधरोपण भी आसानी से हो सकेगा। पशुओं को हरा चारा भी उपलब्ध होगा क्योंकि चारागाह की भूमि की सिंचाई भी निरंतर होती रहेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.