जेके जूट मिल अब जियो जूट मिल
जागरण संवाददाता, कानपुर : जेके जूट मिल का नाम अब बदल गया है। नया नाम जियो जूट मिल हो गया है। साथ ही
जागरण संवाददाता, कानपुर : जेके जूट मिल का नाम अब बदल गया है। नया नाम जियो जूट मिल हो गया है। साथ ही कंपनी के संचालक जल्द ही शहर आकर मिल चलाने की रणनीति तैयार करेंगे।
डिप्टी रजिस्ट्रार आफ कंपनीज की तरफ से 4 मई 2017 को जारी पत्र के अनुसार जुग्गीलाल कमलापत जूट मिल्स कंपनी लिमिटेड का नाम अब जियो जूट मिल लिमिटेड हो गया है। मालूम हो कि जरीबचौकी के निकट कालपी रोड पर जेके जूट मिल की स्थापना जेके समूह ने की थी। जेके समूह से इसका स्वामित्व कोलकाता के सारडा समूह ने ले लिया किंतु मिल इसी नाम से चलती रही। सारडा समूह के चार्टर्ड एकाउंटेंट मनोज सेठिया ने बताया कि मिल के पूर्व स्वामियों (सिंहानिया समूह) की तरफ से कानपुर नगर के जिला जज की कोर्ट में वाद दायर कर प्रार्थना की कि जेके (जुग्गीलाल कमलापत) नाम का इस्तेमाल कोई दूसरा समूह न करे। इस पर कोर्ट ने नौ फरवरी 2017 को सिंहानिया समूह के पक्ष में फैसला सुनाया। इसी आधार पर सारडा समूह ने कंपनी का नाम बदल कर जियो जूट मिल कर लिया है। कंपनी ने नाम बदलने की सूचना भी सभी संबंधित विभागों को भेज दी है।
2014 से बंद है मिल
सिंहानिया समूह से मिल का स्वामित्व 2008 में सारडा समूह के नाम हस्तांतरित हुआ था। तब से मिल कभी चली और कभी उत्पादन बंद हो गया। आठ मार्च 2014 से मिल पूरी तरह से बंद है। सारडा समूह के हाथ में जूट मिल का स्वामित्व आने के बाद से ही समूह में मालिकाना हक को लेकर समूह के दो भाइयों गोविंद सारडा और घनश्याम सारडा के बीच विवाद हो गया था। बताते हैं अब उसका निस्तारण हो गया है।
एनसीएलटी में खारिज हुई याचिका
इस बीच जेके जूट मिल मजदूर मोर्चा ने एनसीएलटी इलाहाबाद में पहले आठ जून 2009 से 30 जून 2009 तक मिल बंदी, फिर पांच अप्रैल 2010 से 27 अगस्त 2011 तक मिल में बंदी रहने की अवधि में मजदूरों का वेतन, ग्रेच्युटी, बोनस पीएफ आदि के मद में कुल 132 करोड़ रुपये का दावा किया था। ट्रिब्यूनल ने नौ मई को उनकी याचिका खारिज कर दी।
..............
''मिल के प्रबंधन का विवाद खत्म हो गया है। मिल का नाम बदलने के साथ ही इसे फिर से चलाने की योजना तैयार हो रही है, जल्द ही कानपुर आकर इसे चलाने की रणनीति बनाई जाएगी। - गोविंद सारडा, संचालक, जियो जूट मिल लिमिटेड