बैंक की मिलीभगत से कॉलेज पचा गए छात्रवृत्ति
जागरण संवाददाता, कानपुर : छात्र-छात्राओं को पढ़ाई में मदद को सरकार से मिलने वाले पैसे पर भी शिक्षण स
जागरण संवाददाता, कानपुर : छात्र-छात्राओं को पढ़ाई में मदद को सरकार से मिलने वाले पैसे पर भी शिक्षण संस्थानों की नीयत खराब हो गई। कई कॉलेजों ने बैंकों से मिलीभगत कर छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति का पैसा अपने खाते में ट्रांसफर करा लिया। कुछ शिकायतों से पोल खुली तो मुख्य विकास अधिकारी ने जांच शुरू करा दी, लेकिन अब बैंक रिकॉर्ड देने में टालमटोल कर रहे हैं।
छात्रवृत्ति की शिकायतों को लेकर छात्र-छात्राओं का तांता विकास भवन में लगा रहता है। फॉर्म में गड़बड़ी या बजट खत्म हो जाना अलग मामला है, लेकिन तमाम ऐसी शिकायतें भी पहुंचीं कि शासन से पैसा छात्र के खाते में तो आया, लेकिन शिक्षण संस्थानों ने अपने खाते में ट्रांसफर करा लिया। जिला समाज कल्याण विभाग ने जांच कराई तो वे सच साबित हुई। इससे अधिकारियों को एक छोर मिल गया कि इसमें बड़े स्तर पर घालमेल की आशंका है। इसी को आधार बनाकर मुख्य विकास अधिकारी अरुण कुमार ने दशमोत्तर छात्रवृत्ति और शुल्क प्रतिपूर्ति के मामले की जांच शुरू करा दी। जिला समाज कल्याण अलख निरंजन मिश्रा ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक और सिंडीकेट बैंक की संबंधित शाखाओं से छात्र-छात्राओं के खातों का वर्ष 2014-15 और 2015-16 का रिकॉर्ड मांगा। साथ ही जानकारी मांगी कि संस्थान के किस पत्र के आधार पर किस छात्र के खाते से कितनी धनराशि ट्रांसफर की गई।
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि पहले तो किसी भी बैंक ने जानकारी नहीं दी। फिर जब मुख्य विकास अधिकारी ने प्रबंधक जिला अग्रणी बैंक को पत्र लिखा तो बैंक ऑफ इंडिया को छोड़कर सभी ने जानकारी दे दी। बैंक ऑफ इंडिया ने पुराने रिकॉर्ड के बजाय नया रिकॉर्ड दे दिया। इसकी वजह से खातों की जांच भी नहीं हो पा रही है।
---
'शिकायतों की पृथम दृष्टया जांच में गड़बड़ी सामने आई है। अब खातों की पूरी जानकारी मिलने के बाद जांच में पता चलेगा कि कितने छात्रों का कितना पैसा संस्थानों ने अपने खाते में ट्रांसफर करा लिया। अब सभी संस्थानों पर पैनी निगाह रहेगी।'
अलख निरंजन मिश्रा
जिला समाज कल्याण अधिकारी