Move to Jagran APP

उद्योगों को बढ़ावा मिले तो लड़ सकते चीन से

जागरण संवाददाता, कानपुर : टैक्सों के सरलीकरण, बिजली के रेट कम करने के साथ ही इंडस्ट्री को सहूलियत पह

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 May 2017 10:23 PM (IST)Updated: Mon, 22 May 2017 10:23 PM (IST)
उद्योगों को बढ़ावा मिले तो लड़ सकते चीन से
उद्योगों को बढ़ावा मिले तो लड़ सकते चीन से

जागरण संवाददाता, कानपुर : टैक्सों के सरलीकरण, बिजली के रेट कम करने के साथ ही इंडस्ट्री को सहूलियत पहुंचाने वाले तमाम कारक एक साथ हों तो भारतीय उद्योग चीन से लड़ सकते हैं। ये बातें इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आइआइए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील वैश्य ने सोमवार को जागरण विमर्श के दौरान कहीं। 'चीन की चुनौती का सामना कैसे करें' विषय पर विशेषज्ञ वक्ता के रूप में वह बोले कि आज भारत चीन के दोयम दर्जे के माल का डंप यार्ड बन गया है। चीन इसलिए मजबूत हुआ क्योंकि वहां सरकार इंडस्ट्री के समर्थन में है। मेक इन इंडिया तभी ठीक है जब हम कीमतें अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा पर ले आएं।

loksabha election banner

उनके मुताबिक 80 के दशक के बाद चीन ने हर शहर को क्लस्टर के रूप में विकसित किया। नदी किनारे शहर बसाए और वाटरबेस ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा दिया। इसकी खर्च कम होने का उसे लाभ मिला। माल सस्ता होने से चीन से बहुत आयात हुआ। अब हमारी इकानॉमी बढ़ रही है। क्वालिटी, प्राइसिंग और आफ्टर सेल सर्विस बेहतर कर हम आगे बढ़ सकते हैं। उन्होंने साइकिल इंडस्ट्री का जिक्र किया जिसकी कीमत 3,500 रुपये होने के कारण चीन छू भी नहीं सका। उनके अनुसार अब उपभोक्ताओं को लग रहा है कि चीन का सामान घटिया होता है।

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय अनुबंधों के चलते हम उसे व्यापार से नहीं रोक सकते लेकिन ब्यूरो आफ इंडियन स्टैण्डर्ड ने 118 उत्पादों के मानक पूरे करने की बंदिश लगाई है। इसीलिए चीनी खिलौनों का आना कम हुआ है। उसमें नुकसानदेह तत्व होते हैं।

एमएसएमई कर रहा मुकाबला

प्रदेश में एमएसएमई सेक्टर में कई उद्योग चीन से मुकाबला कर रहे हैं। इसमें सैडलरी का बड़ा हिस्सा है।

------------

मोबाइल का 70 फीसद सामान चीनी

मोबाइल, लैपटाप में 70 फीसद उपकरण चीनी होते हैं क्योंकि शेनजेन में इसके सबसे ज्यादा उपकरण बनते हैं।

-----------

सबसे बड़ा हथियार कोरिया, ताइवान

चीन के खिलाफ कोरिया, ताइवान सबसे बड़े हथियार हो सकते हैं। उनके उत्पाद चीन जैसे सस्ते लेकिन क्वालिटी में बेहतर हैं।

----------

.. तो कानपुर में चलतीं कपड़ा मिलें

वैश्य के अनुसार समय से कानपुर की कपड़ा मिलों का आधुनिकीकरण होता तो आज ये चल रही होतीं। बिना आटोमेशन आगे नहीं बढ़ सकते।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.