डॉक्टर की सलाह पर रोजे रखें मधुमेह पीड़ित
जागरण संवाददाता, कानपुर : रमजान के पवित्र महीने में मधुमेह से पीड़ित लोगों को रोजे रखने से पहले डॉक्ट
जागरण संवाददाता, कानपुर : रमजान के पवित्र महीने में मधुमेह से पीड़ित लोगों को रोजे रखने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूरी है। उनमें लंबे समय तक उपवास रखने से शुगर का स्तर काफी नीचे गिर जाता है, जिससे हाइपोग्लाइसीमिया का खतरा 4.7 गुना बढ़ जाता है। एकदम से मिठाइयां व वसायुक्त भोजन से हाइपर ग्लाइसीमिया पांच गुना तक हो सकता है। यह जानकारी रविवार को कानपुर डायबिटीज एसोसिएशन की अध्यक्ष डॉ. नंदनी रस्तोगी ने काकादेव के एक मॉल में प्रेसवार्ता के दौरान दी।
उन्होंने बताया कि रोजे के समय संतुलित खानपान जरूरी है। इनमें धीरे धीरे पचने वाले खाद्य पदार्थ शामिल करना अच्छा रहता है। इनमें बासमती चावल, पिट्टा ब्रेड, चपाती, दाल, फल, सब्जियां, सलाद आदि शामिल हैं।
हाइपोग्लाइसीमिया
सचिव डॉ. भास्कर गांगुली के मुताबिक रक्त में शुगर का स्तर एक दम से नीचे गिर जाना हाइपोग्लाइसीमिया कहलाता है। शरीर में कंपन, थरथराहट, अधिक पसीना आना, चक्कर आना, सिर दर्द, तेज धड़कन आदि लक्षण हैं।
हाइपरग्लाइसीमिया
शुगर लेवल अचानक से बढ़ जाना हाइपरग्लाइसीमिया कहलाता है। प्यास लगना, पेशाब आना, जी मिचलाना, पेट दर्द, थकावट आदि लक्षण हैं।
दवाओं की मात्रा में बदलाव जरूरी
डॉ. ब्रिज मोहन ने बताया कि मधुमेह पीड़ितों को वैसे तो रोजे की तैयारी तीन महीने पहले से करनी चाहिए, लेकिन डॉक्टर का परामर्श जरूरी है। दवाओं की मात्रा और इंसुलिन में बदलाव किया जाना चाहिए। कई नई दवाएं बाजार में आ गई हैं।