इलाज मिलते-मिलते हो जाती शाम
प्रकरण-एक : चौबेपुर की मनीषा पांडेय सात माह के बेटे आर्यन के पैर में दिक्कत के चलते सुबह नौ बजे एलएल
प्रकरण-एक : चौबेपुर की मनीषा पांडेय सात माह के बेटे आर्यन के पैर में दिक्कत के चलते सुबह नौ बजे एलएलआर अस्पताल की बाल रोग ओपीडी पहुंची। डॉक्टरों ने परीक्षण कर अस्थि रोग विभाग भेज दिया। मनीषा पर्चे पर बिना मोहर लगवाए पहुंच गई। यहां लाइन में आने के लिए कहा गया, चार घंटे से चक्कर काट रही मनीषा रो पड़ीं। बाद में उनके बेटे को देखा गया।
प्रकरण-दो : शुक्लागंज के त्रिलोकचंद्र सिर में दिक्कत के कारण दौरों से परेशान अपनी मां कुसुमती को दिखाने आए थे। डॉक्टरों ने उन्हें एलएलआर अस्पताल रेफर कर दिया। वह दोपहर में एलएलआर पहुंचे तब तक रजिस्ट्रेशन का समय समाप्त हो गया था। डॉक्टर भी चले गए थे। वह मां को लेकर इमरजेंसी गए, लेकिन जूनियर डॉक्टरों ने ओपीडी में आने की बात कहकर टरका दिया।
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जागरण संवाददाता, कानपुर : एक तरफ बीमारी, दूसरी तरफ सरकारी अस्पतालों की बेहाल व्यवस्थाएं मरीजों पर भारी पड़ रहीं हैं। पर्चे की लाइन से लेकर दवा लेने तक के सफर में शाम हो जा रही। ऐसे में मरीजों की सेहत सुधारने के बजाय उनकी हालत और बिगड़ रही है। ओपीडी में भारी भीड़ के चलते लोग जमीन में बैठकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। लाला लाजपत राय अस्पताल (हैलट), उर्सला अस्पताल, केपीएम और कांशीराम संयुक्त चिकित्सालय की ओपीडी में रोज का नजारा ऐसा ही रहता है।
बिना दिखाए लौटना पड़ रहा
सरकारी अस्पतालों में हर रोज करीब सात हजार की ओपीडी हो रही। हर दिन भीड़ की वजह से कई मरीजों को बिना दिखाए लौटना पड़ा।
पैथोलॉजी में लगी लाइन
एलएलआर अस्पताल की पैथोलॉजी में हर दिन 10 हजार के आसपास जांच होती है, लेकिन आजकल यह आंकड़ा 12 हजार पार कर रहा है। रेडियोलाजी विभाग में भी भारी भीड़ रही।
ओपीडी
एलएलआर- 3145
उर्सला-1576
केपीएम-1322
कांशीराम-1298
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मरीजों के लिए दोमंजिला ओपीडी का प्रस्ताव तैयार हो चुका है। शासन से हरी झंडी मिलते ही काम शुरू हो जाएगा। नई ओपीडी में अत्याधुनिक सुविधाएं होंगी।
-डा. आरसी गुप्ता, एसआइसी, एलएलआर अस्पताल