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बेलगाम ई-रिक्शा से बेहाल यातायात

जागरण संवाददाता, कानपुर : नई सरकार के नए प्रयासों से कई व्यवस्थाओं में बदलाव होता नजर भी आ रहा है। म

By JagranEdited By: Published: Thu, 30 Mar 2017 01:24 AM (IST)Updated: Thu, 30 Mar 2017 01:24 AM (IST)
बेलगाम ई-रिक्शा से बेहाल यातायात

जागरण संवाददाता, कानपुर : नई सरकार के नए प्रयासों से कई व्यवस्थाओं में बदलाव होता नजर भी आ रहा है। मगर, एक ऐसी समस्या है, जिससे शहर का हर वर्ग परेशान है। वह समस्या जाम की है। अब अगर इसके कारणों को गौर करना शुरू करेंगे तो सड़कों पर दौड़ रहे बेलगाम ई-रिक्शा सबसे पहले नजर आएंगे। ये कब कैसे सड़क पर लहराते चलें, कहां मुड़ें, कहां अचानक रुक जाएं, ये रिक्शा चालक की मर्जी। गंभीर विषय तो ये है कि ई-रिक्शा वालों की ये मनमर्जी तब भी हनक से चल रही है, जबकि इनका न तो कोई लाइसेंस है और न ही रजिस्ट्रेशन। आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस के अधिकारी इन पर कार्रवाई की कोई गाइडलाइन या कानून न होने की मजबूरी बताकर अवैध संचालन का 'सिग्नल' दिए हुए हैं। अब बदल रही व्यवस्थाओं में उम्मीद तो की ही जा सकती है कि शहर के यातायात के लिए नासूर बने इन ई-रिक्शा पर लगाम कसेगा। उससे पहले जानते हैं कि कैसे बने ये हैं ये मुसीबत और क्या है कार्रवाई में झोल।

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शहर की सड़कों पर खुली दबंगई

शहर की सड़कों पर इन दिनों टेंपो, ऑटो के साथ ई-रिक्शा चालकों का दबदबा है। चालकों की मनमानी का आलम यह है कि जहां चाहते हैं, वहीं रोक कर सवारियां बिठाने और उतारने लगते हैं। कल्याणपुर, पनकी रोड, विजय नगर, रावतपुर चौराहा, गोल चौराहा, मेडिकल कालेज पुल, चुन्नीगंज, परेड, बड़ा चौराहा, घंटाघर, टाटमिल, किदवई नगर, बारादेवी, नौबस्ता, बर्रा, गोविंद नगर, सीटीआइ समेत अन्य चौराहों पर दिन-रात इनकी अराजकता को देखा जा सकता है। इससे यातायात फंसता है और जाम की स्थिति बनती है।

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इसलिए होते हैं हादसे

बैट्री से चलने वाले ई-रिक्शा की अराजकता लोगों के लिए खतरनाक साबित हो रही है। इनके चलने में आवाज नहीं आती। चालक भी बैट्री बचाने के चक्कर में रात के समय न तो हेडलाइट जलाते हैं और न ही इंडीकेटर। ऐसे में इनसे टकराकर लोग घायल हो रहे हैं।

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कानून न होने का उठा रहे लाभ

रजिस्ट्रेशन और परमिट को लेकर कोई कानून सख्ती से लागू न होने और पुराने ई-रिक्शा को लेकर कोई निर्णय न होने से इनकी मनमानी बदस्तूर जारी है। शुरुआती दौर में खरीदे गए ई रिक्शा का न तो रजिस्ट्रेशन हो सकता है और न ही किसी अन्य तरीके से इनको कानूनी मान्यता दी जा सकती है। कारण यह कि निर्माण करने वाली कंपनी का अता-पता ही नहीं है, जिसके कारण इनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकता है। आरटीओ के पास भी इसका कोई विकल्प नहीं है। शहर में सैकड़ों की संख्या में ऐसे ई रिक्शा दौड़ रहे हैं, जो बिना रजिस्ट्रेशन के हैं। ---

सवारियों के साथ ढोते माल

सवारी रिक्शे, ठेलिया, ट्रॉली आदि का नगर निगम की ओर से सालाना पंजीकरण होता है, लेकिन ई-रिक्शा का इससे कोई नाता नहीं। इनके लिए कोई मानक ही नहीं है। ई-रिक्शा चालक बिना किसी मानक के सवारियों के साथ माल भी ढोते हैं। संभागीय परिवहन विभाग की ओर से रजिस्ट्रेशन न होने के कारण पुलिस भी कार्रवाई नहीं कर पाती।

अफसर बोले-

'बिना रजिस्ट्रेशन चल रहे ई रिक्शा के खिलाफ टीम गठित कर अभियान चलाया जाएगा।

प्रभात पांडेय, एआरटीओ (प्रशासन)

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'ई-रिक्शा को लेकर कोई गाइड लाइन न होने से कार्रवाई में दिक्कत आ रही है। आरटीओ की तरफ से दिशा निर्देश जारी होते ही अभियान चलाकर कार्रवाई की जाएगी।

रणविजय सिंह, सीओ यातायात

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केंद्र नियम बनाए या राज्य हटाए ई-रिक्शा

बोले अधिवक्ता ़ ़ ़ ़ दूसरा कोई विकल्प नहीं

जागरण संवाददाता, कानपुर : सड़क पर दौड़ रहे हजारों ई-रिक्शा पर केंद्र सरकार नियम बनाए या फिर राज्य सरकार उन्हें हटा दे। शहर के यातायात में बाधक बने इन ई-रिक्शा पर अधिवक्ता कुछ यही राय रखते हैं। उनका कहना है कि मोटरयान अधिनियम-2015 में ई-कार्ट और ई-रिक्शा के लिए प्रावधान करते हुए अधिनियम के सभी उपबंध लागू करने के आदेश भी हैं। ऐसे में शहर की सड़कों पर बेतरतीब दौड़ रहे उन ई-रिक्शा के लिए खतरे की घंटी है, जिन्हें बनाने वाली कंपनी को कोई अता-पता नहीं है।

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- धारा 2क : ई-रिक्शा का प्रावधान किया गया है। यह भी कहा गया है कि धारा 7(1) लागू नहीं होगी।

- धारा 2क (2) : ई-रिक्शा चार हजार वाट से ज्यादा का नहीं होना चाहिए

- धारा 7(1) : ई-रिक्शा के लिए लाइसेंस जारी नहीं होंगे

- धारा 39 : सभी वाहनों का रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा, जिसमे ई-रिक्शा भी शामिल हैं।

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'ई-रिक्शा निर्माण करने वाली जिस कंपनी ने सरकार से लाइसेंस नहीं लिया है, उसके द्वारा बनाए उत्पाद की सुरक्षा की गारंटी नहीं ली जा सकती। केंद्र सरकार नियम बनाए या फिर इन्हें हटाने के सिवाय कोई विकल्प नहीं है।'

- शिवाकांत दीक्षित, अधिवक्ता

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'चूंकि नियम बनाने का अधिकार केंद्र सरकार का है, इसलिए मानवीय पहलू देखें तो केंद्र सरकार संशोधन के जरिये नए मानक तय कर सकती हैं अन्यथा आरटीओ को सभी ई-रिक्शा सीज करने पड़ेंगे।'

-वसीम अख्तर, अधिवक्ता


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