निर्मल अविरल होगी मोक्षदायिनी की धारा
जागरण संवाददाता, कानपुर : केंद्र के बाद उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में भी भाजपा की सरकार बनने से मोक्ष
जागरण संवाददाता, कानपुर : केंद्र के बाद उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में भी भाजपा की सरकार बनने से मोक्षदायिनी गंगा की धारा निर्मल-अविरल होने की आस जगी है। लोगों को उम्मीद है कि अब नमामि गंगे प्रोजेक्ट को लेकर सरकारों की खींचतान नहीं होगी बल्कि सब मिलकर काम करेंगे। इधर इस मामले में उच्च न्यायालय ने भी सख्त रुख अपनाया है और अफसरों से जानकारी मांगी है कि कितने नाले गंगा में गिरने से रोके और कितने बंद करना शेष है। ऐसे में आस जगी है कि गंगाजल फिर से आचमन करने लायक होगा।
29 साल से गंगा सफाई अभियान चल रहा है लेकिन राजनीतिक रस्साकसी के चलते प्रोजेक्ट फंस रहे थे। अब एक ही पार्टी की सरकार होने से राजनीतिक उठापटक पर विराम लग जाएगा। अब एक दूसरे पर दोषारोपण करके अपने को बचा नहीं पाएंगे। अफसरों की भी जिम्मेदारी केंद्र व प्रदेश में तय होगी। उधर उच्च न्यायालय के नालों पर सख्त रुख से लग रहा है कि अब गंगा की अविरल निर्मल धारा के लिए प्रयास तेज होंगे।
इन प्रोजेक्ट को स्वीकृति की उम्मीद
प्रदेश व केंद्र की स्वीकृति के बीच में गंगा सफाई के कई काम फंसे हैं। प्रदेश स्वीकृति देता तो केंद्र आपत्ति लगा देता। सीसामऊ नाला टैप प्रोजेक्ट केंद्र व प्रदेश की स्वीकृति के बीच में दो साल से फंसा है। जल संसाधन मंत्री उमाभारती के आदेश के बाद भी काम नहीं शुरू हो पाया। प्रस्ताव बनने में देर व प्रदेश की स्वीकृति के इंतजार में प्रोजेक्ट फंस गया। अब टेंडर हो गए हैं केंद्र की स्वीकृति मिलनी है। ऐसे ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के अपग्रेड का 412 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट दो साल से फंसा है। इन सभी प्रोजेक्टों को हरी झंडी मिलने से काम तेजी से आगे बढ़ेगा।
0 गंगा में रोज सीसामऊ नाले से 13.6 करोड़ लीटर सीवर का पानी गिर रहा है। इसके पानी को ट्रीट करने व नाला टैप करने के लिए प्रोजेक्ट तैयार हो गया है। नमामि गंगे में 63.80 करोड़ रुपये भी स्वीकृत हो गए हैं, टेंडर पड़ गए हैं। अब प्रदेश व केंद्र की स्वीकृति मिलनी है। दोनों ही जगह भाजपा की सरकार है।
0 वाजिदपुर में बने पांच और 130 एमएलडी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट अपग्रेड करने के लिए 412 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट भी स्वीकृति को भेजा गया है।
0 370 करोड़ का प्रोजेक्ट बीते चार साल से प्रदेश व केंद्र के बीच झूलता रहा। प्रोजेक्ट को अब स्वीकृति मिली है। टेंडर पड़ गए हैं, इसको स्वीकृति मिलनी बाकी है।
गंगा सफाई का सफर
- 1989 में गंगा सफाई का अभियान शुरू किया गया। उस वक्त गंगा में दो सौ एमएलडी दूषित पानी गिरता था। इंडो डच योजना के तहत जाजमऊ में दूषित पानी ट्रीट करने के लिए 162 एमएलडी के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए। इसके बाद भी गंगा में 38 एमएलडी फिर भी गंदा पानी गिरता रहा।
0 इस दौरान शहर की जनसंख्या बढ़ती गई। साथ ही सीवर के पानी की मात्रा भी बढ़ती गई। वर्ष 2000 तक 350 एमएलडी दूषित पानी शहर से निकलने लगा। इस हिसाब से 179 एमएलडी गंदा पानी गंगा में गिर रहा था।
- 2006 में जवाहर लाल नेहरू नेशनल अरबन रिन्यूवल मिशन योजना लाई गई। लेकिन अभी पूरी नहीं हो पाई है। अब 465 एमएलडी दूषित पानी निकलता है। वाजिदपुर में बना सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का रखरखाव न होने से दूषित सौ एमलएडी पानी ही ट्रीट हो पा रहा है। इससे 365 एमएलडी दूषित पानी गंगा में सीधे गिर रहा है। जेएनएनयूआरएम में 648 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं, इसमें चार सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जा रहे हैं इनकी कुल क्षमता 310 एमएलडी है। इनके चालू होने के बाद भी 55 एमएलडी दूषित पानी गंगा में गिरता रहेगा।
0 गंगा रिवर बेसिन प्राधिकरण के तहत गंगा सफाई के बचे कामों को कराने की तैयारी की जा रही है।
यह नाले गिरते गंगा में
टेफ्को नाला, टपका, सिद्धनाथ घाट, चिड़ियाघर, ज्यौरा, एएनडी कॉलेज, परमट, जेल, रानीघाट, गोल्फ क्लब, गुप्तार घाट, भगवतदास घाट, सरसैया घाट, अवधपुरी, बुढि़याघाट, वाजिदपुर व सरैया नाला।