ई-संचरण से मंगवाएं एक लाख से अधिक का माल
जागरण संवाददाता, कानपुर : पहली जुलाई से नई कर प्रणाली गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू किए जाने
जागरण संवाददाता, कानपुर : पहली जुलाई से नई कर प्रणाली गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू किए जाने को देखते हुए ई-संचरण व्यवस्था को और प्रभावी बनाने के लिए वाणिज्य कर आयुक्त ने निर्देश दिया है कि छपे हुए फार्म 38 का इस्तेमाल एक लाख से कम मूल्य के आयात के लिए किया जाएगा। इससे अधिक मूल्य के आयात के लिए ई संचरण का प्रयोग अनिवार्य रूप से किया जाएगा।
वाणिज्य कर आयुक्त मुकेश कुमार मेश्राम ने कहा है कि पहले से जारी छपे हुए फार्म 38 के माध्यम से 31 मार्च तक अधिकतम एक लाख रुपये तक के मूल्य का ही माल आयात किया जा सकेगा। अब छपे हुए फार्म 38 जारी करते समय उस पर अधिकतम 'एक लाख रुपये तक के आयात हेतु' की मुहर लगाई जाएगी। मालूम हो कि वाणिज्य कर विभाग में 50 लाख से अधिक के वार्षिक विक्रय धन वाले कारोबारियों को प्रदेश के बाहर से माल आयात 'ई संचरण व्यवस्था' पहली जून 2015 से अनिवार्य रूप से लागू की गई थी। आयात किए जाने वाले माल से संबंधित विवरण अपलोड कर 'ई-संचरण नंबर' जनित किया जाना है। प्रांत बाहर स्थित विक्रेता व्यापारी को यही ई-संचरण नंबर उपलब्ध कराया जाता है। व्यापारियों की मांग पर 50 लाख से एक करोड़ वार्षिक टर्नओवर वाले व्यापारियों द्वारा सड़क मार्ग से फुल लोड ट्रक से कम माल आयात किये जाने की स्थिति में छपे हुए फार्म 38 से माल मंगवाए का विकल्प उपलब्ध कराया गया। 50 लाख से अधिक टर्नओवर वाले व्यापारियों को विगत तिमाही में उनके द्वारा प्रयोग किये गये ई-संचरण नंबर का 10 फीसद या अधिकतम 50 छपे हुए फार्म 38 से माल मंगाने की सुविधा का विकल्प दिया गया था।
विधानसभाओं में पेश होंगे विधेयक
जीएसटी काउंसिल ने पहली जुलाई से कर प्रणाली को लागू करने के लिए सेंट्रल जीएसटी, इंटीग्रेटेड जीएसटी एवं स्टेट जीएसटी के कानून एवं नियमों को अंतिम रूप दे दिया है। वरिष्ठ कर सलाहकार संतोष गुप्ता ने बताया कि सेंट्रल जीएसटी एवं इंटीग्रेटेड जीएसटी के विधेयक मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित कर दिए गए हैं और इसी बजट सत्र में संसद पटल पर रखे जाएंगे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों द्वारा स्टेट जीएसटी के लिए कानून एवं नियम के विधेयक विधानसभाओं में शीघ्र ही प्रस्तुत किये जाएंगे। अब लगभग सभी मामलों में सहमति हो गई है। यहां तक कि राज्यों को होने वाली क्षतिपूर्ति के मामले में भी रजामंदी हो गई है। केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों के कार्य एवं क्षेत्राधिकार निर्धारित कर दिए गए हैं।