कंप्यूटर हार्डवेयर में बजेगा देश का डंका
जागरण संवाददाता, कानपुर : कंप्यूटर साइंस की अपनी बौद्धिक संपदा के बूते पूरी दुनिया में सॉफ्टवेयर के
जागरण संवाददाता, कानपुर : कंप्यूटर साइंस की अपनी बौद्धिक संपदा के बूते पूरी दुनिया में सॉफ्टवेयर के सिरमौर बने भारत का डंका जल्द ही कंप्यूटर हार्डवेयर और माइक्रो प्रोसेसिंग के क्षेत्र में बजेगा। वर्ष 2011 से लंबित बहुप्रतीक्षित माइक्रो प्रोसेसिंग रिसर्च एंड डेवलपमेंट को भारत सरकार ने हरी झंडी दे दी है। सीडेक के इस प्रस्ताव को मंजूरी देने के साथ सरकार ने 280 करोड़ रुपये का बजट भी मंजूर किया है। सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग के साथ माइक्रोप्रोसेसिंग के क्षेत्र में शोध और विकास को बढ़ावा मिलने पर भारत चीन और अमेरिका को पछाड़ देगा।
सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग में अभी तक महानिदेशक का कार्य देख रहे और भिलाई आइआइटी में निदेशक के रूप में तैनात किए गए प्रोफेसर रजत मूना ने कानपुर आइआइटी में ये बातें साझा कीं। उन्होंने बताया कि साफ्टवेयर प्रोग्रामिंग में भारत विश्व में पहले स्थान पर है जबकि माइक्रो प्रोसेसिंग के क्षेत्र में हम काफी पिछड़े हैं। आज बच्चों के खिलौने से लेकर सुपर कंप्यूटर तक, हर क्षेत्र में माइक्रो प्रोसेसर की जरूरत है, लेकिन भारत में इस क्षेत्र में काम नहीं हो रहा था। यूएस इस मामले में नंबर एक पर है और उत्पादन के मामले में चीन जबकि सारी प्रोग्रामिंग भारत में होती है। अगर हम माइक्रो प्रोसेसर के क्षेत्र में शोध और विकास करेंगे तो कंप्यूटर के क्षेत्र में भारत वैश्विक महाशक्ति होगा। 2011 में बनाए गए इस प्रोजेक्ट को भारत सरकार ने मंजूरी दे दी है। 2019 तक भारत में माइक्रो प्रोसेसर बनने लगेगा। हालांकि हम देर से शोध शुरू कर रहे हैं, लेकिन जल्द ही सकारात्मक परिणाम आने शुरू हो जाएंगे।