छह साल में सभी ट्रेनों में लग जायेंगे एलएचबी कोच
सीबीसी (सेंट्रल बफलर कपलिंग) वाले इस कोच से काफी हद तक रेल हादसों को रोकने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही रेलवे ट्रैक की अल्ट्रासोनिक टेस्टिंग मेनुअल नहीं बल्कि मोबाइल वैन से होगी।
कानपुर (जेएनएन)। छह साल में सभी ट्रेनों में अत्याधुनिक तकनीक वाले एलएचबी (लिंक हॉफमैन बुशेस) कोच लगा दिए जाएंगे। सीबीसी (सेंट्रल बफलर कपलिंग) वाले इस कोच से काफी हद तक रेल हादसों को रोकने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही रेलवे ट्रैक की अल्ट्रासोनिक टेस्टिंग मेनुअल नहीं बल्कि मोबाइल वैन से होगी। यह जानकारी रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एके मित्तल ने दी। मित्तल शनिवार को सेंट्रल स्टेशन पर पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि इसी साल जून माह तक गोविंदपुरी को टर्मिनल बना दिया जाएगा। इससे कानपुर सेंट्रल पर ट्रेनों का लोड कम हो जाएगा। श्रमशक्ति एक्सप्रेस से सेंट्रल स्टेशन पहुंचे रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एके मित्तल लोको शेड और इलेक्ट्रिक ड्राइवर ट्रेनिंग सेंटर भी गए। वहां बैठक करने के बाद भीमसेन पहुंचे। इसके बाद मोटर ट्राली से रसूलपुर से गोगूमऊ तक ट्रैक का निरीक्षण किया। बाद में जीटी रोड स्थित न्यू कोचिंग कांप्लेक्स का भी निरीक्षण किया।
उन्होंने कहा कि अभी रेलवे के पास कुल 55 हजार कोच हैं, जिसमें 47 हजार आइसीएफ (पुराने डिब्बे) हैं और आठ हजार एलएचबी कोच हैं। हर साल आठ हजार सीबीसी लगाए जाएंगे ताकि दुर्घटना में क्षति न हो। रेलवे ने एलएचबी कोच का उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि कीमैन आठ किमी. तक ट्रैक की मैनुअल टेस्टिंग करता है, इससे चूक हो सकती है। अब मोबाइल वैन से अल्ट्रासोनिक टेस्टिंग की जाएगी। उनके साथ महानिदेशक सिग्नल और दूरसंचार अखिल अग्रवाल भी थे।
क्या है खासियत
सेंटर बफलर कपलिंग (सीबीसी) वाले एलएचवी कोच की कपलिंग टूटती नहीं है। हादसा होने की दशा में यह कोच न तो पलटते हैं और न ही एक दूसरे के ऊपर चढ़ते हैं। प्रयागराज, राजधानी व शताब्दी एक्सप्रेस में यही कोच लगे हैं।