नोटबंदी की मार से 'ईंट' घायल
कानपुर, जागरण संवाददाता : नोटबंदी की मार से 'ईंट' घायल हो गई है। कैश की किल्लत के चलते मकान बनाने वा
कानपुर, जागरण संवाददाता : नोटबंदी की मार से 'ईंट' घायल हो गई है। कैश की किल्लत के चलते मकान बनाने वालों ने काम रुकवा दिया है जिसके चलते ईंट भट्ठे मालिक 7500 प्रति हजार बिकने वाले ईंट का दाम 5500 से 6000 के बीच ईंट बेचने के लिए तैयार हैं। इसके बाबजूद खरीदार नहीं मिल रहे हैं।
पलायन कर रहे श्रमिक
उत्तर प्रदेश ईट निर्माता समिति के प्रदेश उपाध्यक्ष गोपी श्रीवास्तव ने बताया कि कानपुर नगर क्षेत्र में करीब 300 ईंट-भट्ठे हैं। प्रत्येक भट्ठे में बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश के 300-400 मजदूर काम में लगी थी। नोटबंदी के चलते मजदूरों को पूरा भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। पिछले दस दिन से मजदूरों को साप्ताहिक भुगतान की जगह अनाज बांटा जा रहा है लेकिन रोजमर्रा के खर्चे, बच्चों की बीमारी के लिए पैसे नहीं होने के कारण 30 फीसद लेबर अपने प्रदेश में जा चुकी है।
दाम कम फिर भी नहीं मिल रहे खरीदार
कानपुर ब्रिक फील्ड ऑनर एसोसिएशन के महामंत्री इकबाल सिंह ने बताया कि एक महीने पहले ईंट 7500 प्रति हजार बेची जा रहा था लेकिन इस समय 5500 रुपये में ईंट के खरीदार नहीं मिल रहे हैं। नोटबंदी के चलते पूरे शहर में रोजाना तीन लाख बिकने वाली ईट 40-50 हजार ईंट रोजाना बिक रही है।
कोयले की आवक बंद, ठंडी पड़ी चिमनियां
आरके ब्रिक फील्ड के मालिक विनय शील शुक्ला ने बताया कि कोयले की आवक बंद होने से चिमनियों को बंद करना पड़ा है। कानपुर नगर की 20 फीसद भंट्ठे में काम रुक गया है। उन्होंने बताया कि बैंक से केवल पचास हजार रुपये मिल रहा है जिससे भट्ठा नहीं चल सकता है क्योंकि एक भट्ठे में ईंट पथाई के लिए 150 मजदूर, ईंट ढुलाई के लिए 50 मजदूर, ईट की निकासी के 50 मजदूर, चिमनी में कोयला डालने वाले 50 मजदूर, खच्चर से ईंट की ढुलाई करने वाले करीब 50 मजदूरों की आवश्यकता होती हैं।