सपने दिखा लूट लिये अरमान
कानपुर, जागरण संवाददाता: सुविधाओं के नाम पर सब्जबाग दिखा रूमा औद्योगिक क्षेत्र बसाया गया। उद्यमियों
कानपुर, जागरण संवाददाता: सुविधाओं के नाम पर सब्जबाग दिखा रूमा औद्योगिक क्षेत्र बसाया गया। उद्यमियों को तमाम सपने दिखाए गए लेकिन इन सपनों को पूरा करने में यूपीएसआईडीसी ने रुचि ही नहीं दिखाई। नतीजतन आज टूटी सड़कें तालाब का रूप ले चुकी हैं तो तमाम प्लाट कूड़ाघर। पानी की टंकी ठूठ बनी खड़ी है वहीं सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट सफेद हाथी बना हुआ है।
रूमा औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना वर्ष 2000 में हुई तो यूपीएसआईडीसी प्रबंधन ने उद्यमियों के साथ बैठक कर उन्हें निवेश के लिए प्रेरित किया। तब कहा गया था कि यहां मॉडल औद्योगिक क्षेत्र की तरह सुविधाएं मिलेंगी। 280 एकड़ में फैले इस औद्योगिक क्षेत्र में सुविधाएं तो दूर आज तक दो दर्जन उद्यमियों को उनके भूखंडों पर कब्जा भी यूपीएसआईडीसी नहीं दिला सका। आवंटी वर्षो से भटक रहे हैं। सुविधाओं के लिए प्रबंधन गंभीर नहीं है।
मिट गया सड़कों का अस्तित्व
चार सड़कों का अस्तित्व मिट गया है। इन सड़कों पर 50 से 60 फीट लंबा और एक से डेढ़ फीट गहरा गढ्डा हो गया है। सड़कें यहां पहले बनी थीं, पर घटिया काम होने के कारण टूट गई। अब इन गढ्डों में बरसात का पानी भरा हुआ है। इन सड़कों से ट्रक हिचकोले खाते हुए गुजरते हैं। हर पल पलटने का खतरा अलग से रहता है। अब नए सिरे से कुछ सड़कों का निर्माण होना है पर बारिश के कारण काम बंद पड़ा है।
आज तक नहीं हुई पानी आपूर्ति
पानी की आपूर्ति के लिए पेयजल लाइन बिछाई गई है। पानी की टंकी भी है पर आज तक पानी की आपूर्ति नहीं हुई। परिणाम स्वरूप पाइप लाइन ध्वस्त हो गई। उद्यमियों ने औद्योगिक इकाई के अंदर ही सबमर्सिबल पंप लगा लिए हैं। पहले पेयजल आपूर्ति के लिए यहां अभियंताओं की तैनाती की गई थी। अब पेयजल आपूर्ति यूनिट भंग कर दी गई। इसलिए पंप चलाने वाले ही नहीं हैं तो आपूर्ति कैसे हो। यह भी बड़ा सवाल है।
टूट गई हैं सीवर लाइनें
सीवर लाइनें भी टूट गई हैं। उनमें केमिकल युक्त पानी बजबजाता रहता है। लोगों के खाली प्लाटों में भी पानी भरा हुआ है। यही पानी भूगर्भ जल को भी प्रदूषित कर रहा है। इस पानी से उठने वाली सड़ांध लोगों के लिए मुसीबत है।
नाम का ट्रीटमेंट प्लांट
यहां स्थापित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट छह साल पहले बना था पर एक बूंद भी पानी शोधित नहीं किया गया। यहां लगे उपकरण खराब हो गए और अब उन्हें बदला जा रहा है। मरम्मत कार्य के बाद भी प्लांट चलेगा भी या नहीं, कह पाना मुश्किल है। इसे चलाने के लिए यूपीएसआईडीसी के पास अनुभवी कर्मचारी ही नहीं हैं।