सरकारी तंत्र, भूला सफाई मंत्र
राहुल शुक्ल, कानपुर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सफाई मंत्र को उसे लागू कराने वाला सरकारी तंत्र ह
राहुल शुक्ल, कानपुर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सफाई मंत्र को उसे लागू कराने वाला सरकारी तंत्र ही भूल गया। दो अक्टूबर 2014 को सरकारी विभागों के अफसरों व कर्मचारियों ने कार्यालयों व परिसर में झाड़ू लगा संकल्प लिया था कि कार्यालय स्वच्छ रखेंगे मगर एक साल बाद विभागों की स्थिति, संकल्प की हकीकत कुछ और बयां कर रही है। कूड़े के ढेर, जलती गंदगी, उड़ता धुआं, कुत्तों का विभागों में घूमना और दरवाजे व जीने पान की पीक से रंगे हुए थे। यह हाल गांवों में विकास का दावा करने वाले विकास भवन का है।
दैनिक जागरण की टीम सरकारी विभागों की स्वच्छता की परख करने दोपहर सवा एक बजे विकास भवन पहुंची। विकास भवन में कुत्ते इधर-उधर भाग रहे थे। कुछ भवन के अंदर भी थे। भवन के पीछे हाथ कूड़ा गाड़ी गंदगी से भरी थी और बाहर कूड़े के ढेर लगे थे। कुछ ढेरों को कर्मचारियों ने आग के हवाले कर दिया था। उससे उड़ते धुएं से लोगों का सांस लेना दूभर हो रहा था। डेढ़ दर्जन विभागों के अफसर व कर्मचारी यहां बैठते हैं लेकिन आज सन्नाटा था। बताया गया कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी लगी है। कार्यालय के दरवाजे व दीवार के कोने में चौतरफा पान की पीक पड़ी थी। पूरे भवन में हालांकि पर्चे चिपके हैं कि पान मसाला खाने व थूकने पर पांच सौ रुपये जुर्माना है लेकिन पालन कोई नहीं कर रहा है। देखने पर लगता था कि कुछ दिन पहले ही जीने पर चूने से फिर से पुताई करायी गयी है। इसके बाद भी लोगों ने पीक से इसे रंग डाला। कोनों में टूटी कुर्सी व कबाड़ पड़ा है। कई कार्यालयों में फाइलें ठीक से रखी थी तो कई में बेतरतीब ढंग से। अलमारी के कोनों में पान मसाले की पीक के ढेर पड़े थे। अभी जब सरकारी तंत्र ही नहीं जागा है तो सफाई मंत्र शहर में कौन लागू कराएगा।