सात मुल्कों की तर्ज पर तीन तलाक को एक मानें
कानपुर, जागरण संवाददाता : आल इंडिया सुन्नी उलमा काउंसिल ने देश के उलमा और मुफ्ती हजरात को पत्र लिखकर
कानपुर, जागरण संवाददाता : आल इंडिया सुन्नी उलमा काउंसिल ने देश के उलमा और मुफ्ती हजरात को पत्र लिखकर कुरान व हदीस की रोशनी में ऐसा रास्ता निकालने की गुजारिश की है कि तीन बार दिए गए तलाक को एक बार माना जाए क्योंकि तमाम लोग नशे या गुस्से में अपनी बीवी से ऐसा बोल देते हैं और बाद में पछतावा करते हैं।
ऐसे लोग अपनी बीवी बच्चों के साथ दोबारा रहने के लिए उलमा व मुफ्ती हजरात से रास्ता निकालने के लिए कहते हैं। सात मुल्कों ने इस नियम को कुरान व हदीस की रोशनी में तस्लीम कर लिया है। इसे भारत में लागू कर दिया जाए तो 90 फीसद तलाक व निकाह के मसले हल हो जाएंगे। आल इंडिया सुन्नी उलमा काउंसिल के महामंत्री हाजी मोहम्मद सलीस ने आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, देवबंद, बरेलवी व देश के अन्य उलमा व मुफ्ती हजरात से संपर्क साधा है। हाजी का कहना है कि पाकिस्तान, सूडान, मिस्त्र, इराक, उर्दन, मिराकिस और मुल्क-ए-शाम के उलमा ने कुरान व हदीस की रोशनी में तीन तलाक को एक तलाक तस्लीम किया है। इसका मतलब है कि कुरान व हदीस की रोशनी में कहीं न कहीं गुंजाइश है। उनका कहना है कि जिन मुल्कों में ये नियम लागू हैं, वहां के उलमा व मुफ्ती हजरात से भारत के उलमा को संपर्क करके ये पता लगाना चाहिए कि आखिर किस आधार पर तीन तलाक को एक तलाक माना गया है अगर रास्ता निकलता है तो भारत में भी इसे लागू करना चाहिए।
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क्या है तीन तलाक का मामला
यदि कोई मुसलमान अपनी बीवी को तीन बार तलाक कह देता है तो पति व पत्नी के रिश्ते हमेशा के लिए खत्म हो जाते हैं, चाहे पति ने गुस्से या नशे में ही क्यों न तलाक दिया हो।
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हलाला करने की बड़ी सजा
यदि कोई मुसलमान अपनी बीवी को तीन बार तलाक देकर छोड़ देता है और दोबारा उसे अपनी जिंदगी में शामिल करना चाहता है तो उस महिला को किसी दूसरे पुरुष से निकाह करना होगा और बाकायदा उस दूसरे पुरुष के साथ बीवी की तरह रहना होगा। दूसरा पुरुष फिर उसे तलाक देगा। तलाक देने के शरई नियम के मुताबिक पत्नी को 3 माह बिताने के बाद फिर अपने पहले पति से निकाह कर सकती है।