दावे आसमान छू रहे, हकीकत जमीं पर भी नहीं
कानपुर, जागरण संवाददाता : दावे और हकीकत में कितना फर्क है अगर देखना है तो यूपीएसआईडीसी द्वारा बसाई ज
कानपुर, जागरण संवाददाता : दावे और हकीकत में कितना फर्क है अगर देखना है तो यूपीएसआईडीसी द्वारा बसाई जा रही ट्रांस गंगा हाईटेक सिटी में आइए। यहां जुलाई के अंत में भूखंड आवंटन की तैयारी की जा रही है लेकिन अभी तक न तो भूमि की दरें तय हैं और न ही कोई विकास हुआ है। खंभे तो लगे हैं पर सबस्टेशन का पता नहीं है। हालत यह है कि सबस्टेशन की नींव तक नहीं भरी गई है। काम कब शुरू होगा पता नहीं।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव स्मार्ट सिटी की तर्ज पर ही हाईटेक सिटी की स्थापना करना चाहते हैं। उनका सपना समय से हकीकत में बदल पाएगा, इसमें संदेह है क्योंकि अफसरों में तालमेल की कमी के चलते यहां काम की रफ्तार बहुत मंद है। भूखंडों की दरों का निर्धारण जिन अफसरों को करना है, वे इससे कतरा रहे हैं। इसी वजह से दरों के निर्धारण में देरी हो रही है। यहां हैंडपंप और सबमर्सिबल के सहारे पानी की जरूरत को पूरा किया जा रहा है जबकि नलकूप के लिए बो¨रग और ओवरहेड टैंक की स्थापना का कार्य अब तक शुरू हो जाना चाहिए था। अभी तो यही नहीं तय है कि टैंक कहां बनेंगे। बिजली का कनेक्शन एक सबस्टेशन से लिया गया है। बिजली कटौती के कारण जरूरी काम जेनरेटर के सहारे हो रहे हैं। सड़क बनने को मिट्टी डाली जा रही है लेकिन यह काम भी धीमा है।
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अधर में लैंड स्केपिंग का काम
जुलाई में लैंड स्केपिंग का काम होना था लेकिन इसके अगस्त में शुरू होने की उम्मीद है। जब तक लैंड स्केपिंग नहीं होगी तब तक पौधरोपण नहीं होगा। मानसून आने वाला है। बरसात शुरू होने के बाद मिट्टी का खनन नहीं हो पाएगा फिर लैंड स्केपिंग के लिए मिट्टी मिलनी मुश्किल हो जाएगी।
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सीवेज सिस्टम पर काम नहीं
सिटी में सीवर लाइन डालने का भी काम शुरू नहीं हुआ है। अगर सड़कें बन जाएंगी और उसके बाद सीवर लाइन डालने का काम होगा तो सड़कें क्षतिग्रस्त होंगी लेकिन इसकी फिक्र किसी को नहीं है।
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ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण शुरू नहीं
जीरो डिस्चार्ज प्रणाली का कॉमन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया जाना है। दो प्लांट बनने हैं। इनका निर्माण कब शुरू होगा। कौन निर्माण करेगा यह तय नहीं है। वैसे रूमा समेत औद्योगिक क्षेत्रों में लगे ट्रीटमेंट प्लांट खराब ही पड़े हैं। कई तो कागजों पर ही चल रहे हैं।
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पेयजल आपूर्ति का अनुभव खराब
यूपीएसआईडीसी में पहले पेयजल आपूर्ति के लिए एक यूनिट बनाई गई थी। इसमें बाहर के अभियंताओं को तैनात किया गया था। बाद में यह यूनिट भंग कर दी गई। जिम्मेदारी विभागीय अभियंताओं को दे दी गई। चकेरी, रूमा आदि तमाम ऐसे औद्योगिक क्षेत्र हैं जहां ओवरहेड टैंक बनकर खड़े हैं लेकिन आपूर्ति नहीं होती। ऐसे में सिटी में पानी की आपूर्ति हो पाएगी भी या नहीं कहना मुश्किल ही है।
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'डीपीआर और ले आउट दोनों तैयार हैं। काम समय से हों इसका प्रयास किया जा रहा है। लैंड स्केपिंग का काम भी इसी माह शुरू होगा।
-मनोज सिंह, प्रबंध निदेशक यूपीएसआईडीसी