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अब पढ़ाई भी सामाजिक सरोकार भी

विक्सन सिक्रोड़िया, कानपुर एमएड के छात्रों की पढ़ाई अब केवल कक्षाओं तक सीमित नहीं रहेगी। स्कूलों

By Edited By: Published: Fri, 22 May 2015 02:26 AM (IST)Updated: Fri, 22 May 2015 02:26 AM (IST)
अब पढ़ाई भी सामाजिक सरोकार भी

विक्सन सिक्रोड़िया, कानपुर

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एमएड के छात्रों की पढ़ाई अब केवल कक्षाओं तक सीमित नहीं रहेगी। स्कूलों में मिलने वाली शिक्षा से सामाजिक समस्याओं का समाधान करना उनके प्रायोगिक अध्ययन का हिस्सा बन जायेगा। प्रायोगिक व तकनीकी अध्ययन को शामिल करके एनसीटीई ने एमएड के दो वर्षीय कोर्स में व्यापक बदलाव किया है। इसी तर्ज पर छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय ने कोर्स डिजाइन करके उसमें प्रायोगिक अध्ययन को बढ़ावा दिया है।

दो वर्षीय एमएड कोर्स को इस तरह से डिजाइन किया गया है जो स्कूल से लेकर बीएड कालेज में पढ़ाने तक के लिए बेहतरीन शिक्षक तैयार करेगा। इसमें एमएड कालेज में की जाने वाली पढ़ाई का व्यावहारिक अध्ययन शामिल है। कोर्स डिजाइन करते समय हर विषय को प्रयोगात्मक अध्ययन से जोड़कर देखा गया है।

हर प्रश्नपत्र में प्रायोगिक अध्ययन :

विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग के डीन डा. सुभाष अग्रवाल ने बताया कि कोर्स को इस तरह से डिजाइन किया गया है जिससे शिक्षकों का कौशल विकास हो। अभी तक एमएड के कोर्स में केवल सौ अंकों का लघु शोध व मौखिक परीक्षा होती थी लेकिन अब हर प्रश्नपत्र में लघु शोध, मौखिक परीक्षा के अलावा फील्ड वर्क व प्रायोगिक अध्ययन को शामिल किया गया है। एमएड के दो वर्षीय पाठ्यक्रम में 800 अंक थ्योरी व 400 अंक मौखिक परीक्षा, फील्ड वर्क व प्रायोगिक अध्ययन के होंगे। यह प्रस्ताव विश्वविद्यालय की बोर्ड ऑफ स्टडीज के सामने रखा जाएगा।

बीएड कालेजों में होगी इंटर्नशिप :

नए पाठ्यक्रम के अनुसार पहली बार एमएड कालेज के छात्रों की इंटर्नशिप बीएड कालेजों में होगी। महीने भर की इस इंटर्नशिप में उन्हें विश्वविद्यालय से संबद्ध बीएड कालेजों में पढ़ाने के साथ वहां की प्रयोगात्मक रिपोर्ट भी तैयार करनी होगी। जबकि पिछले साल तक एमएड में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी।

इन बिंदुओं पर आधारित होगा एमएड का नया पाठ्यक्रम :

- दो वर्षीय पाठ्यक्रम में दस प्रश्नपत्र होंगे।

- इन सभी प्रश्नपत्रों में आंतरिक मूल्यांकन को शामिल किया गया है।

- प्रयोगात्मक अध्ययन को बढ़ाना।

- समाज से जुड़कर समाधान के लिए आगे आना।

- अच्छे अध्यापन के संदर्भ में कौशल विकास करना।

- थ्योरी के साथ चलेगा प्रयोगात्मक अध्ययन।

-कापी, किताबों से नहीं व्यावहारिक शोध से छात्र करेंगे अध्ययन।


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