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अब 20 जिलों में हीमोफीलिया का मुफ्त इलाज

कानपुर, जागरण संवाददाता: हीमोफीलिया जैसी घातक बीमारी से बचाव की वैक्सीन के लिए सरकार ने इस बार 18.80

By Edited By: Published: Sun, 19 Apr 2015 08:48 PM (IST)Updated: Sun, 19 Apr 2015 08:48 PM (IST)

कानपुर, जागरण संवाददाता: हीमोफीलिया जैसी घातक बीमारी से बचाव की वैक्सीन के लिए सरकार ने इस बार 18.80 करोड़ रुपये का बजट दिया है। यह बजट हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका पर कोर्ट की फटकार के बाद सरकार ने जारी किया। अभी तक आठ मेडिकल कालेजों में मिलने वाली यह मुफ्त वैक्सीन 12 और जिलों के सरकारी अस्पतालों पर उपलब्ध होगी। यह जानकारी विश्व हीमोफीलिया दिवस पर कानपुर हीमोफीलिया सोसाइटी द्वारा गैंजेस क्लब में आयोजित गोष्ठी में विशेष सचिव चिकित्सा शिक्षा अ¨रदम भंट्टाचार्य व डीजीएमई डॉ. वीएन त्रिपाठी ने दी। इस दौरान डॉ. सुनील तनेजा, डॉ. संजय रस्तोगी, डॉ. यशवंत राव मौजूद रहे।

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म डिकल कालेज व मंडल चिकित्सालयों में उपलब्ध होगा फैक्टर

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) से मिले बजट से मेडिकल कालेज व मंडल चिकित्सालयों में एएचएफ (एंटी हीमोफीलिया फैक्टर) उपलब्ध कराए जायेंगे। सभी जिला अस्पतालों में इसकी व्यवस्था न होने पर सरकार ने यह कदम उठाया है। इसको उपलब्धता की जिम्मेदारी एसजीपीजीआई को दी गई है।

समय से न मिला इलाज, तो जानलेवा है बीमारी

ह मोफीलिया में शरीर के खून का धक्का (जमना) बनने की क्षमता समाप्त हो जाती है। इससे व्यक्ति के शरीर में चोट लगने के बाद बहता खून रोकता नहीं। समय से एएचएफ न लगने पर मरीज की जान जोखिम में पड़ सकती है। रक्तसाव्र अंदरूनी हो या बाहरी ये इंजेक्शन 15 मिनट में असर दिखाते हैं।

लाइलाज बीमारी, फिर भी इलाज के लिए तय समय..

लाइलाज बीमारी होने के बाद भी मेडिकल कालेज में मरीज को तय समय में ही इलाज मिलेगा यदि उस समय के बाद कुछ होता है तो उसे अगले दिन का इंतजार करना पड़ेगा। चाहे इस बीच मरीज का दम ही क्यों न निकल जाए। मेडिकल कालेज में सुबह दस से दो बजे तक ही इस बीमारी का वैक्सीनेशन (इलाज) होता है। यदि इसके अतिरिक्त समय में मरीज को कोई दिक्कत आती है तो उसे लखनऊ पीजीआई जाने के सिवा कोई दूसरा उपाय नहीं है। जहां चौबीस घंटे इलाज होता है। मरीजों के साथ कानपुर हीमोफीलिया सोसाइटी के सचिव राजेश भसीन ने चौबीस घंटे इलाज मिलने की मांग की।

हाईकोर्ट की फटकार पर मिला बजट

एनएचएम में हीमोफीलिया का बजट होने के बाद भी इस मद में फंड न आने के चलते हाईकोर्ट में दायर पीआईएल (जनहित याचिका) के बाद सरकार ने इस मद में बजट दिया है। दिसबंर 2008 में हाईकोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने 2009-10 में 9.43 करोड़ रुपये एएचएफ खरीद के लिए बजट दिया। जो अगले वित्तीय वर्ष में आधी से भी कम रह गई। बीते वर्ष में भी सिर्फ 4.17 करोड़ रुपये ही दिए गए वहीं 2014-15 में सिर्फ दो करोड़ रुपये का ही बजट मिला था।


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