छात्राओं को नहीं भाते गर्ल्स इंजीनिय¨रग कालेज
डॉ.सुरेश अवस्थी, कानपुर वह वक्त बीत गया, जब अभिभावक बेटियों को बालकों के साथ उच्च शिक्षा दिलाने म
डॉ.सुरेश अवस्थी, कानपुर
वह वक्त बीत गया, जब अभिभावक बेटियों को बालकों के साथ उच्च शिक्षा दिलाने में असुरक्षित व छात्राएं छात्रों के कालेजों में खुद को असहज महसूस करती थीं। पिछले दो दशक में बदले परिवेश का ही नतीजा है कि अभिभावकों व छात्राओं की सह शिक्षा के प्रति रुझान तेजी से बढ़ी है इसीलिए उन्होंने प्राविधिक विश्वविद्यालय, उप्र.(यूपीटीयू) के अलग से गर्ल्स इंजीनिय¨रग कालेजों को नकार दिया है। छात्राओं के प्रवेश न लेने से कई कालेज बंद हो चुके हैं तो कई बंद होने की स्थिति में हैं। कुछ कालेज प्रबंधकों ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) से कालेजों को सह शिक्षा में परिवर्तित करने की अनुमति मांगी है।
बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए तकनीकी शिक्षा परिषद व यूपीटीयू ने निजी गर्ल्स इंजीनिय¨रग कालेज खोले जाने को बढ़ावा दिया परंतु छात्राओं व अभिभावकों की पसंद ने इस पर पानी फेर दिया। उधर कालेजों की सीटें न भरने पर एआईसीटीई ने 40 फीसद भरी सीटों वाले कालेजों को सह शिक्षा में परिवर्तित करने की छूट दे दी। जिन कालेजों की 40 फीसद से भी कम सीटें भर रहीं थीं, उन्होंने कालेज बंद करना ही मुनासिब समझा और शेष ने सह शिक्षा में तब्दील करने की पंक्ति में जा लगे। समझा जा रहा है कि चालू सत्र में प्रदेश में गर्ल्स इंजीनिय¨रग कालेज खत्म हो जाएंगे।
मानकों में मिली थी छूट
प्रबंधकों को गर्ल्स कालेज की मान्यता व संबद्धता देने के मानकों में कई तरह की छूट दी गई। मसलन एआईसीटीई के मानक के अनुसार कालेज के लिए कम से कम पांच एकड़ भूमि जरूरी है पर गर्ल्स कालेजों को 20 फीसद छूट पर चार एकड़ में ही कालेज की संबद्धता दी गई। इसी तरह प्राभूत राशि सहित अन्य मानकों में भी छूट का प्रावधान रखा गया।
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बंद हो गए कालेज
एटीएएम फार वूमेन गोरखपुर, कृष्णा गर्ल्स इंजीनिय¨रग कालेज कानपुर, राम चमेली चंट्टा गर्ल्स इंजीनिय¨रग कालेज गाजियाबाद बंद हो चुके हैं जबकि श्रीराम मूर्ति स्मारक वूमेन कालेज ऑफ इंजीनिय¨रग एंड टेक्नालॉजी बरेली, एसएसएलडी वार्ष्णेय गर्ल्स इंजीनिय¨रग कालेज अलीगढ़, राजकुमारी गर्ल्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालाजी फार वूमेन गाजियाबाद सहित कुछ अन्य कालेजों ने सह शिक्षा में परिवर्तित कराने को आवेदन दिया है।
क्या हैं कारण
- छात्राओं व अभिभावकों की पहली पसंद को एजूकेशन।
- गर्ल्स कालेजों में छात्राओं को शुल्क या कोई अन्य अतिरिक्त सुविधा नहीं।
- छात्राओं का रहता अच्छी साख वाला कालेज चुनने का प्रयास।
- सभी कालेजों में छात्राओं के लिए 20 फीसद सीटें सुरक्षित।
- छात्र छात्राओं की संयुक्त प्रतिस्पद्र्धा से प्लेसमेंट व पढ़ाई में लाभ।
- अधिकांश छात्राएं कोएड कालेजों में करके आती इंटर की पढ़ाई।
- प्लेसमेंट के बाद उन्हें सभी के साथ मिलजुल कर करना होता काम।
''लगभग डेढ़ दशक पहले अभिभावक व खुद छात्राएं कोएड कालेजों में पढ़ाई से खुद को असहज महसूस करते थे। देश का परिवेश बदला है, अब उनमें विश्वास व साहस का संचार हुआ है। ऐसे में उच्च शिक्षा के अलग गर्ल्स कालेजों का औचित्य लगभग खत्म हो गया है। आखिर छात्राओं को इंजीनिय¨रग की डिग्री लेकर किसी कंपनी में लड़कों से प्रतिस्पद्र्धा करते हुए ही काम करना होता है।''- डॉ. आरके खंडाल, कुलपति प्राविधिक विश्वविद्यालय, उप्र.।