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पहले कक्षा से नदारद, अब प्रवेशपत्र की जुगत

कानपुर, जागरण संवाददाता : मेरे रिश्तेदार नहीं रहे इसलिए कॉलेज नहीं आ सका, मेरे पिताजी बीमार रहते हैं

By Edited By: Published: Sun, 01 Mar 2015 01:01 AM (IST)Updated: Sun, 01 Mar 2015 01:01 AM (IST)
पहले कक्षा से नदारद, अब प्रवेशपत्र की जुगत

कानपुर, जागरण संवाददाता : मेरे रिश्तेदार नहीं रहे इसलिए कॉलेज नहीं आ सका, मेरे पिताजी बीमार रहते हैं जिससे रोज कॉलेज आना संभव नहीं था, मेरी तबियत ठीक नहीं थी इसलिए कक्षाओं में उपस्थिति कम रह गई। यह दलील उन छात्र-छात्राओं की है जिन्हें कॉलेज प्रबंधन ने परीक्षाओं के प्रवेशपत्र नहीं दिए हैं।

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एक मार्च से शुरू होने वाली छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय की वार्षिक परीक्षाओं के प्रवेशपत्र लेने को शनिवार को कॉलेजों में छात्र-छात्राओं का तांता लगा रहा। साल भर कॉलेज का मुंह न देखने वाले छात्रों को अब प्रवेशपत्र के लिए एड़ियां रगड़नी पड़ रही हैं। कॉलेजों में उनके अनुपस्थित रहने की वजह छात्रों नहीं उनके अभिभावकों से पूछी जा रही है। अर्मापुर डिग्री कॉलेज में ऐसे छात्र छात्राओं से उनके अभिभावकों का सामना कराया जा रहा है वहीं डीबीएस कॉलेज में भी उन छात्र-छात्राओं के प्रवेशपत्र रोक दिए गए हैं जिनकी उपस्थिति कम है। जबकि कानपुर विद्या मंदिर की छात्राओं के प्रवेशपत्र शुक्रवार देर शाम जारी किए गए। प्रबंधक व प्राचार्य के झगड़े के चलते विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस कॉलेज के प्रवेशपत्र विश्वविद्यालय ने रोक दिए थे। अर्मापुर डिग्री कॉलेज के प्राचार्य डॉ. जीएल श्रीवास्तव ने बताया कि जिन छात्रों की उपस्थिति कम है उनके अभिभावकों को बुलाया गया है। क्योंकि ऐसे छात्रों में से कइयों ने कॉलेज न आने की जो दलील दी है वह गले नहीं उतर रही है वहीं डीबीएस डिग्री कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अशोक श्रीवास्तव ने बताया कि जिनकी उपस्थिति कम हैं, उसका कारण जानने के बाद ही प्रवेशपत्र जारी किए जाएंगे।

प्रवेशपत्र में हैं गलतियां :

कानपुर विद्या मंदिर के प्रवेशपत्र परीक्षाएं शुरू होने के दो दिन पहले जारी किए गए। कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि अभी भी सभी छात्राओं के प्रवेश पत्र नहीं आए हैं। जबकि जिन छात्राओं के प्रवेशपत्र कॉलेज लागइन पर अपलोड किए गए हैं उनमें से कई छात्राओं के प्रवेशपत्रों में गलतियां भी हैं वहीं दयानंद महिला महाविद्यालय के कई प्रवेशपत्रों में गलतियां होने से छात्राएं परेशान रहीं। कॉलेज प्रबंधन के अनुसार इसे सुधारने की जिम्मेदारी विश्वविद्यालय प्रशासन की है।


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