गाढ़ी कमाई के लिए पांच साल इंतजार
कानपुर, जागरण संवाददाता : यूनाईटेड कामर्शियल कोआपरेटिव (यूसीसी) बैंक का लाइसेंस रद होने के बाद अब ग्
कानपुर, जागरण संवाददाता : यूनाईटेड कामर्शियल कोआपरेटिव (यूसीसी) बैंक का लाइसेंस रद होने के बाद अब ग्राहकों को गाढ़ी कमाई के लिए कम से कम पांच साल का लंबा इंतजार करना पड़ेगा। छोटे जमाकर्ता बीमित रकम के भरोसे हैं तो बड़े ज्यादा नुकसान उठाएंगे। विशेषज्ञ कहते हैं वर्ष 2005 में ही ऑडिट में खामियां मिलीं थी लेकिन अनदेखी की वजह से अब तक लूट मची रही।
वर्ष 2013 के जून में यूसीसी बैंक पर रोक लगाई गई थी। इसके बाद डेढ़ साल तक न तो बैंक प्रबंधन कुछ कर सका और न आरबीआई व सहकारिता विभाग ने ही कुछ किया। अब लाइसेंस रद होने से बैंक के 22 हजार सावधि व दैनिक जमाकर्ता फंस गए हैं। बैंक का लाइसेंस रद होने के बाद लिक्वीडेटर के निर्देशन में 32 करोड़ रुपये के घपले व खराब ऋणों के साथ ही कारोबार की पड़ताल होगी। इसमें कम से कम तीन से पांच साल तक का वक्त लगना तय है। ऐसे में 2015 में लाइसेंस रद के बाद जमाकर्ताओं को रुपये मिलने की कार्यवाही 2020 तक पूरी होने की उम्मीद है। इसमें सहकारिता, आरबीआई के अधिकारी भी गहन जांच करेंगे। बैंकिंग जानकारों के अनुसार वर्ष 2005 में जब बैंक का आडिट हुआ था तो खामियां निकली थीं लेकिन अनदेखी से हालात बिगड़ते चले गए।
छोटे का एक लाख बीमा, बड़े को 26 फीसद
बैंक के छोटे ग्राहकों की मुसीबतें जरूर कम हैं लेकिन इंतजार तो करना ही पड़ेगा। कम रकम वाले ग्राहकों को एक लाख रुपये बीमा से जमा धन तो मिल जाएगा लेकिन बड़े जमाकर्ताओं को कुल जमा का 20 से 26 फीसद तक ही वापसी मिलेगी।
सहकारिता विभाग दे सकता राहत
कोआपरेटिव बैंकों के बिगड़ते हालात को संभालने के लिए सहकारिता विभाग आगे आए तो बात बन सकती है। प्रदेश सरकार इनकी रुग्णता पर आर्थिक मदद मुहैया कराए और बराबर मानीट¨रग करे। इससे काफी राहत मिल सकती है क्योंकि सूबे के ज्यादातर सहकारी बैंक संकट के दौर से गुजर रहे हैं।
यूसीसी बैंक पर नजर
शुरुआत : 1996-97
शहर में शाखाएं : सात
मुख्यालय : सिविल लाइंस
ग्राहक संख्या : 22 हजार
धन जमा : 57 करोड़
घोटाला : 32 करोड़
लाइसेंस रद : 2015
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फरवरी 2014 में ऑडिट रिपोर्ट दे दी गई थी। इसके बावजूद न तो आरबीआई ने ध्यान दिया और न ही सहकारिता विभाग ने। कोआपरेटिव बैंकों की सघन पड़ताल की जरूरत है।
-सीए पीके मिश्रा, बैंक ऑडिट विशेषज्ञ