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कच्ची बस्ती के 35 मकान खाली

कानपुर, जागरण संवाददाता : गोविंदपुरी समानांतर पुल के निर्माण में बड़ी अड़चन बने कच्ची बस्ती गोविंद नगर

By Edited By: Published: Sun, 28 Dec 2014 09:44 PM (IST)Updated: Sun, 28 Dec 2014 09:44 PM (IST)
कच्ची बस्ती के 35 मकान खाली

कानपुर, जागरण संवाददाता : गोविंदपुरी समानांतर पुल के निर्माण में बड़ी अड़चन बने कच्ची बस्ती गोविंद नगर के 80 मकानों में से 35 ब्रिज कारपोरेशन व केडीए की टीम ने प्रशासन की मदद से खाली करा लिए। रविवार को हुई इस कार्रवाई का कुछ लोगों ने विरोध करने की कोशिश की, लेकिन पीएसी और पुलिस बल देखकर चुपचाप सामान समेट लिया।

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समानांतर पुल निर्माण में बाधक कच्ची बस्ती के मकानों को खाली करने के लिए प्रशासन ने शनिवार को 24 घंटे की मोहलत देकर चार मकानों पर ताला लगा दिया था। रविवार दोपहर मकान खाली करने के अल्टीमेटम का समय पूरा होते ही एसीएम प्रथम सतीश चंद्रा, एसीएम पांच आलोक कुमार व एसीएम सात डीडी वर्मा ब्रिज कारपोरेशन के अवधेश द्विवेदी और केडीए के संतोष यादव व अरविंद बाजपेई की टीम के साथ कच्ची बस्ती पहुंचे। मौके पर मौजूद सीओ गोविंदनगर ओपी सिंह ने सर्किल फोर्स व पीएसी के साथ बस्ती में चिन्हित किए गए मकानों को खाली करने के फरमान जारी कर दिया। इसके बाद टीम ने चिन्हित 31 लोगों के घरों का सामान बाहर निकलवा कर अपने ताले डाल दिए।

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खिड़की, ग्रिल और दरवाजे

निकालने की मिली मोहलत

अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाने से पहले लोगों की प्रार्थना पर टीम ने खिड़की दरवाजे व अन्य कीमती सामान निकालने के लिए 24 घंटे का समय और दे दिया। जिन 35 मकानों को खाली कराया गया है, उनको काशीराम आवास योजना में आवास आवंटित कर दिए गए हैं। बाकी मकान व दुकान खाली न करने पर ध्वस्तीकरण का आदेश है। इसे देखते हुए अन्य मकानों में रहने वाले कुछ लोगों ने भी अपना सामान समेटना शुरू कर दिया है।

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अपने हाथों तोड़ा अपना आशियाना

कार्रवाई के दौरान तिनका तिनका जोड़ बनाए गए आशियाने को अपने हाथ से तोड़ने की पीड़ा अजय शर्मा, शिवप्यारी, शोभा व इमिलिता समेत घर खाली करने वाले सभी लोगों के चेहरे पर झलकती रही। कोई खिड़की दरवाजा निकालने में जुटा था तो कोई जरूरत का हर समान सहेजने में परेशान था। महिलाएं झाड़ू, पोछा तक समेट रही थी तो बच्चे बार-बार खिलौना न छूटने की याद दिला रहे थे। घर खाली करने वालों की मांग पर प्रशासन ने मुखिया के नाम पर आवास आवंटित कर दिया है, जबकि यहां एक घर में दो से तीन परिवार रह रहे थे। ऐसे में चिंता यह भी थी कि छोटी जगह में अब गुजारा कैसे होगा।


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