एक 'प्रयास' से खिलखिला रहा बचपन
विक्सन सिक्रोड़िया, कानपुर : जो परिवार दो जून की रोटी मशक्कत के बाद जुटा पाते हैं, उनके लिए बच्चों को
विक्सन सिक्रोड़िया, कानपुर : जो परिवार दो जून की रोटी मशक्कत के बाद जुटा पाते हैं, उनके लिए बच्चों को बेहतर शिक्षा किसी ख्वाब से कम नहीं। झुग्गी-झोपड़ी वाले बच्चों को मुख्य धारा में लाना आसान नहीं था लेकिन कानपुर आईआईटी से बीटेक, एमटेक व पीएचडी कर रहे छात्रों ने ऐसे परिवारों को तलाशा उनके बच्चों को गुरुकुल तक लाने का जो 'प्रयास' किया वह आज रंग ला चुका है। यहां पर भविष्य के टेक्नोक्रेट और वैज्ञानिक उन बच्चों को तालीम दे रहे हैं जिनके लिए अक्षर ज्ञान एक सपना था।
अगर इन बच्चों पर आईआईटी के छात्र- छात्राओं की निगाह न पड़ी होती तो उनका बचपन मजदूरी के बीच खो चुका होता। कक्षा 3 से लेकर 12वीं तक के बच्चों के लिए आईआईटी परिसर में चलने वाले इस गुरुकुल का नाम आईआईटियंस ने 'प्रयास' रखा है। वर्तमान समय में यहां पर 115 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
13 साल पहले पड़ी प्रयास की नींव :
आईआईटी के छात्र-छात्राओं ने मिलकर 13 साल पहले 'प्रयास' की नींव डाली थी। शुरुआत में कुछ छात्र-छात्राएं बच्चों को गांव-गांव जाकर तलाशते व उन्हें यहां पर लाकर पढ़ाते थे पर समय के साथ इसने बड़ा रूप ले लिया और अब इससे करीब 20 छात्र-छात्राएं जुड़ चुके हैं। बीटेक के छात्र व 'प्रयास' के वालंटियर रुतविज भावसार ने बताया कि अब इस संस्था के माध्यम से जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाने में बीटेक के अलावा एमटेक व पीएचडी के छात्र छात्राएं भी अपना योगदान दे रहे हैं। 'प्रयास' के समन्वयक हैं कपिल कृष्ण गुप्ता इनके साथ मोनिका मातो, मुकुंद मित्तल, कमलेश, सचिन, आरती समेत अन्य छात्र-छात्राएं पढ़ाई के बाद समय निकालकर बच्चों को नियमित रूप से शाम 5 से 7 बजे तक पढ़ाते हैं।
कैसे होता है चयन :
रुतविज भावसार ने बताया कि जरूरतमंद बच्चों का चयन करने के लिए गर्मी की छुट्टियों में आवेदन फॉर्म निकाला जाता है। इस फॉर्म को अभिभावक भरते हैं। फॉर्म में अपने बारे में जो कुछ भरा गया है उसका निरीक्षण करने के लिए छात्रों की टीम उनके घर जाती है। बच्चे का चयन करने में परिवार की आर्थिक स्थिति व पढ़ाई के लिए बच्चे की लगन दोनों देखी जाती हैं। अगर कोई बच्चा पढ़ने में बहुत अच्छा है तो उसे यहां पर स्कूल में प्रवेश से लेकर स्कूली स्तर पर होने वाली प्रतियोगिताओं के लिए तैयार भी किया जाता है। प्रयास में आसपास स्थित गांव बारासिरोही व नानकारी व कल्याणपुर के अलावा स्टाफ क्वार्टर में रहने वाले बच्चे भी पढ़ाई कर रहे हैं।
पढ़ाई संग खेलकूद से भी जुड़ते बच्चे :
'प्रयास' में आईआईटियंस उन बच्चों की शारीरिक फिटनेस पर भी पूरा ध्यान देते हैं जो यहां पढ़ते हैं। शुक्रवार को यहां पर इन बच्चों के लिए खेलकूद के इवेंट आयोजित किए जाते हैं। इस दिन वह फुटबॉल, वालीबॉल व क्रिकेट के अलावा इंडोर खेलों का भी आनंद उठाते हैं।
उच्च शिक्षा के लिए काउंसलिंग :
स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद इन बच्चों को आगे की पढ़ाई के लिए आईआईटी के यह छात्र-छात्राएं काउंसलिंग भी करते हैं। रुतविज ने बताया कि यहां पर पढ़ने वाले कुछ बच्चे ऐसे हैं जिन्हें अपनी मेधा के बल पर स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट समेत अन्य कॉलेजों में प्रवेश मिला है। यहां पर बच्चों को पढ़ाने के साथ उच्च शिक्षा में प्रवेश लेने से संबंधित उन सभी सवालों का जवाब भी दिया जाता है जो वह जानना चाहते हैं। इसके बाद वह अपना क्षेत्र चुनकर आगे की पढ़ाई शुरू कर देते हैं।