क्षमता 506 की, दौड़ा रहे 520 ट्रेन
कानपुर, जागरण संवाददाता : देश के सबसे बड़े 506 क्षमता वाले रूट रिले पैनल पर रेलवे ने 520 सवारी और माल
कानपुर, जागरण संवाददाता : देश के सबसे बड़े 506 क्षमता वाले रूट रिले पैनल पर रेलवे ने 520 सवारी और मालगाड़ियों का बोझ लाद दिया है। नतीजा अब यह सिस्टम भी हांफ रहा है, एक के पीछे एक ट्रेनें लगी हैं जिससे प्वाइंट खाली नहीं हो पा रहा है और झकरकटी, दादानगर व अन्य आउटर पर ट्रेनें ट्रैक खाली होने के इंतजार में घंटों खड़ी रहती हैं।
बताते चलें कि चार दिनों तक जूही में इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉक लगाने को 80 सुपरवाइजर, सिगनल विभाग के 32 अधिकारी, 150 टेक्नीशियन ने 24 घंटे काम करके 30 मई-2011 को ये सिस्टम चालू किया था। इस प्रोजेक्ट पर 19 करोड़ रुपये खर्च हुए। जब ये सिस्टम चालू हुआ था तो रेलवे ने जश्न मनाया था क्योंकि ट्रेनों की संख्या अधिक होने से संचालन में आ रही दिक्कतें दूर करने को 33 वर्ष बाद कोई बदलाव किया गया था। जूही में इससे पूर्व आरआरआई (रूट रिले इंटरलॉकिंग) सिस्टम था जिसे बदलकर एसएसआई ( सॉलिड सेट इंटरलॉकिंग) सिस्टम लगाया। अब समस्या यह है कि जूही के डायमंड क्रासिंग से दिल्ली हावड़ा, फर्रुखाबाद, झांसी, बांदा की प्रतिदिन करीब 370 ट्रेनें और 150 से अधिक मालगाड़ियां गुजरती हैं।
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इंसेट..
क्या है ये सिस्टम
जूही में लगाये गये एसएसआई (सॉलिड सेट इंटरलॉकिंग) सिस्टम में कुल 506 रूट हैं जो प्वाइंट से तत्काल सेट हो जाते हैं इसमें 90 मेन सिगनल, 100 शंटिग सिगनल हैं। इसी तरह इंटरलॉक के साथ पावर अपग्रेडेशन की सुविधा है।
कोहरे में ट्रेनें लेट चल रही हैं, स्टेशन पर प्लेटफार्म खाली नहीं होने से आउटर पर ट्रेनें रुकती हैं।-नवीन बाबू, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, उत्तर मध्य जोन।