कठिन है डगर पदोन्नति की
कानपुर जागरण संवाददाता : प्रदेश के डिग्री कॉलेज शिक्षकों की पदोन्नति के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयो
कानपुर जागरण संवाददाता : प्रदेश के डिग्री कॉलेज शिक्षकों की पदोन्नति के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा तैयार किया गया मूल्यांकन का प्रारूप मुसीबत बन गया है। मूल्यांकन के इस प्रारूप में शिक्षकों को केवल शोध व पुस्तकें लिखने तक ही सीमित नहीं रखा गया है बल्कि उन्हें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में शिरकत करने से लेकर को सह पाठ्यक्रम गतिविधियों में भाग लेने का ब्योरा भी इसमें शामिल करना होगा।
अब शिक्षकों की परेशानी यह है कि यह प्रारूप वर्तमान शिक्षा पद्धति को देखकर तैयार किया गया है जबकि कॉलेजों का इंफ्रास्ट्रक्चर, लैब व लाइब्रेरी की हालत को देखते हुए वह इसके लिए तैयार नहीं हैं। प्रदेश में संचालित ज्यादातर कॉलेजों की हालत ऐसी है कि सेमिनार व ओरिएंटेशन रिफ्रेशर कोर्स उनके लिए दूर की कौड़ी हैं। शिक्षकों का कहना है कि मूल्यांकन के इस प्रारूप को उसी वर्ष से लागू किया जाए जिस वर्ष यह तैयार होकर सामने आए।
ऐसा होगा परफॉरमेंस बेस्ड एप्रेजल सिस्टम :
शिक्षकों को प्रोन्नति देने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने जो विनियमन तैयार किया है उस पर राज्य विश्वविद्यालय एक्ट ने भी मुहर लगा दी है। इस विनियमन के अंतर्गत जो एप्रेजल सिस्टम तैयार किया गया है उसे तीन भागों में बांटा गया है। पहला भाग टीचिंग लर्निग, दूसरा एक्टेंशन व को करीकुलर एक्टीविटीज और तीसरा एकेडमिक परफॉरमेंस है। इनमें तीसरा भाग शिक्षकों के लिए सिरदर्द बना हुआ है। एप्रेजल के इस भाग में शामिल प्रारूप में शिक्षकों को यह बताना होगा कि उन्होंने कितनी किताबें लिखीं हैं। इसके अलावा कितने रिसर्च पेपर प्रकाशित हुए हैं, कितने रिसर्च प्रोजेक्ट पर काम किया है, पीएचडी व एमफिल किया है, ओरिएंटेशन रिफ्रेशर व शॉर्टटर्म कोर्स में शामिल हुए हैं, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में शिरकत की है आदि।
नहीं है एकेडमिक स्टाफ कॉलेज :
छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय से संबद्ध डिग्री कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को ट्रेनिंग देने को यहां पर स्टाफ कॉलेज नहीं है। वीएसएसडी डिग्री कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.देवेंद्र अवस्थी बताते हैं कि ऐसे में ओरिएंटेशन रिफ्रेशर कोर्स करना शिक्षकों के लिए बहुत मुश्किल है जो कि पदोन्नति के प्रारूप का एक हिस्सा है।
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'यूजीसी के नए प्रारूप को तीन नवंबर 2013 से लागू किए जाने की मांग राज्य सरकार से की गई है लेकिन सरकार ने यह फैसला यूजीसी पर छोड़ रखा है। पदोन्नति के लिए प्रदेश में छह हजार शिक्षक कतार में हैं। इनमें तीन हजार शिक्षक पे बैंड 3 से पे बैंड 4 में जाने के लिए हैं जबकि इतने ही नए शिक्षक हैं।'
-डॉ. विवेक द्विवेदी, महासचिव उत्तर प्रदेश विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षक महासंघ