बुझे मन से भगवान विश्वकर्मा द्वार कर रहा स्वागत
चारुतोष जायसवाल, कानपुर : राजधानी लखनऊ की ओर से शहर में आने वालों का यह द्वार सीना तानकर स्वागत करता था। तब लोग इसे देखकर खुश हो जाते थे। आज इसकी ऐसी दुर्दशा है कि राहगीर इसे देखते ही मुंह फेर लेते है। आज भगवान विश्वकर्मा जयंती के दिन भी यह द्वार बदहाली में अपने दिन बहुरने का इंतजार कर रहा है। हम बात कर रहे है जाजमऊ गंगापुल के पास स्थित 'भगवान विश्वकर्मा द्वार' की। जो नगर निगम व जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का दंश झेल रहा है।
साल 1999 में जाजमऊ गंगापुल के समीप उस समय मेयर रही सरला सिंह ने विश्वकर्मा द्वार का निर्माण कराया था। द्वार के मध्य में विश्वकर्मा भगवान की मूर्ति भी स्थापित की गयी थी। साल 2000 में तत्कालीन शहरी विकास मंत्री लालजी टंडन ने इसका उद्घाटन किया था। लखनऊ से शहर आने पर राहगीरों का यह द्वार शान से स्वागत करता था। इस पर 'कानपुर शहर में प्रवेश पर आपका स्वागत है' लिखा देख लोगों को सुखद अनुभूति होती थी। धीरे धीरे इसकी सुध न लेने से इसकी हालत बिगड़ती गयी। चार साल पूर्व किसी शरारती तत्व ने भगवान की मूर्ति चोरी कर ली जिसके बाद से इसे दुबारा लगवाया नहीं गया। इसी रास्ते से राजधानी आने जाने वाले जनप्रतिनिधियों को भी यह नजर नहीं आता। कई साल से द्वार की पुताई न होने से इस पर काई जम गई है और प्लास्टर टूट कर गिर रहे हैं। नगर निगम के अधिकारी हैं कि उन्हें कभी फुर्सत ही नहीं मिलती कि इस ओर ध्यान दें। हर साल की तरह इस बार भी विश्वकर्मा जयंती बीत जायेगी और यह द्वार निराश होकर अपने अच्छे दिन आने का इंतजार करेगा।