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़ ़ ़तो पीयूष को बचाना चाहती है पुलिस

By Edited By: Published: Mon, 01 Sep 2014 08:51 PM (IST)Updated: Mon, 01 Sep 2014 08:51 PM (IST)

कानपुर, जागरण संवाददाता: ज्योति हत्याकांड के मुख्य आरोपी पीयूष और मनीषा को शायद स्वरूप नगर पुलिस बचाना चाहती है इसीलिए अभी तक उनके फिंगर पि्रंट नहीं लिए गए। जबकि इसी मामले में आरोपी अवधेश, रेनू, सोनू और आशीष के फिंगर पि्रंट दो बार लिए जा चुके है।

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ज्योति हत्याकांड में पुलिस की अब तक की कहानी यही कहती है कि पीयूष ने पत्‍‌नी ज्योति को मारने के लिए मामले में जेल में बंद अन्य अभियुक्तों का सहारा लिया था। इसका मतलब साफ है कि इस मामले में जो आरोपी जेल में है वह घटना में बराबर के दोषी है। इस हत्याकांड में कोई भी चश्मदीद गवाह नहीं है लिहाजा इन परिस्थितियों में आरोपियों को सजा दिलाने के लिए साक्ष्य और फिंगर प्रिंट बेहद मायने रखेंगे। पुलिस ने चार आरोपी अवधेश, रेनू, सोनू और आशीष के फिंगर पि्रंट तो लिए लेकिन पीयूष को छोड़ दिया। आखिर ऐसा क्यों किया गया समझ से परे है। अवधेश के अधिवक्ता संजीव कुमार तिवारी के मुताबिक उनके मुवक्किलों को इस हत्याकांड का मुख्य आरोपी बताकर पुलिस फंसाना चाहती है, इसलिए दो बार फिंगर प्रिंट लिए गए जबकि पीयूष के फिंगर पि्रंट के लिए विवेचक ने आवेदन किया और फिर वापस ले लिया। संजीव के मुताबिक जब एक ही घटना में सभी आरोपी हैं तो पीयूष और मनीषा के फिंगर प्रिंट क्यों नहीं लिए जा रहे हैं।

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फिंगर प्रिंट का केस में मतलब

ज्योति हत्याकांड में जो भी कहानी बताई जा रही है उसमे फिंगर प्रिंट बेहद मायने रखते हैं। पीयूष समेत सभी आरोपी कार में गये थे तो जरूर कार के किसी न किसी हिस्से को छुआ होगा और उनके फिंगर प्रिंट उसमें आ गए होंगे। साथ ही जो दूसरे साक्ष्य बरामद हुए हैं उनमें भी फिंगर प्रिंट मौजूद होंगे। इन फिंगर प्रिंट का किसी भी आरोपी से मिलान हो गया तो यह आरोपियों को सजा के मुहाने पर लाकर खड़ा कर देगा और चश्मदीद गवाह की कमी को पूरा करेगा।


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