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रोजगार के वास्ते श्वेतक्रांति के रास्ते

By Edited By: Published: Thu, 31 Jul 2014 08:32 PM (IST)Updated: Thu, 31 Jul 2014 08:32 PM (IST)
रोजगार के वास्ते श्वेतक्रांति के रास्ते

कानपुर, जागरण संवाददाता : जेब में रुपये नहीं हैं और रोजगार करना चाहते हैं तो आपका यह सपना पूरा होने वाला है। आप तो रोजगार के लिए मिनी सघन डेरी योजना अपनाएंगे, लेकिन श्वेतक्रांति अपने आप आ जाएगी। पराग, नाबार्ड, दुग्ध समितियां व प्रशासन की संयुक्त पहल इसी दिशा में बढ़ रही है।

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दुग्ध विकास को बढ़ावा देने को जिले में दो पशुओं के पालने के लिए सघन मिनी डेयरी योजना तैयार की गई है। पशुपालन महकमे ने बाकायदा 1845 उन गरीबों का चयन किया है, जो चाहते तो हैं कि गाय अथवा भैंसों का पालन करें और उनसे दूध के साथ धन अर्जित करें मगर माली हालत ठीक न होने से इस दिशा में सोच ही नहीं पाये। उन्हें कुल लागत के अनुरूप बैंक निर्धारित की गई सब्सिडी को काटकर लोन देगा और उनसे किश्त वसूलेगा। जबकि विभागीय अफसर उन पशुओं की सेहत का ख्याल रखेंगे।

योजना का स्वरूप

नाबार्ड किसानों को दो से 10 पशु देगा जबकि पराग अधिकतम दो से चार। इनकी आमद पंजाब व हरियाणा से होगी, अगर किसान चाहें तो वह सरसौल, माधोबाग व नई जुबेरगंज में लगने वाली मंडी से भी खरीद कर सकते हैं।

छूट का निर्धारण

सामान्य जाति के लोगों को 25 फीसद अनुदान मिलेगा जबकि अनुसूचित जाति व जनजाति को 33 फीसद। इतनी सब्सिडी काटकर बाकी धनराशि बैंक ऋण के रूप में मिलेगी। किश्त बनेगी, जिसका भुगतान लाभार्थी को करना होगा।

कौन पशु कितने में

प्रजाति दूध देगी संभावित कीमत

मुर्रा भैंस 15-20 0.80-1.30

मुर्रा क्राफ्ट 8-13 0.60-0.80

साहीवाल गाय 10-12 0.45-0.50

शंकर गाय 10-15 0.30-0.40

(दूध दोनों टाइम लीटर व कीमत लाख में)

यहां करें आवेदन

सघन मिनी डेयरी योजना का लाभ पाने के लिए चयनित लाभार्थियों को पराग व नाबार्ड की समितियों में आवेदन करना पड़ेगा। वहां से फाइल बैंक जायेगी, फिर बैंक ऋण देने की प्रक्रिया पूर्ण करेगी। इसके लिए एलडीएम समेत कई बैंकों की मीटिंग प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।

पशुपालन विभाग की जिम्मेदारी

- घर पर जाकर जानवरों का कराया जायेगा जीवन बीमा।

- बीमार होने पर पशु चिकित्सक मुफ्त में करेंगे इलाज।

- मौसम के हिसाब से करेंगे टीकाकरण व चेकअप।

- शिकायत पर पूरे साल करते रहेंगे समस्या का समाधान।

खास शर्तो पर नजर

- लाभार्थियों को एक भैंस छह माह के अंतराल में क्रय करनी होगी।

- 3/4 भाग दूध समिति में विक्रय होगा व 1/4 हिस्सा खुद उपभोग करेंगे।

- समिति पाक्षिक रूप से विक्रय किए गये दूध का भुगतान करेगी।

- धनराशि का 1/3 भाग जीवन यापन, 1/3 हिस्सा राशन क्रय व 1/3 भाग बैंक ऋण की किश्त होगी।

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लाभार्थियों का चयन पूरा कर लिया गया है। डेढ़ दर्जन बैंकों से ऋण के लिए बात भी लगभग पूरी हो गई है ताकि किसी लाभार्थी को लोन के लिए बैंकों के चक्कर न लगाने पड़ें।

- डा. चरण सिंह यादव, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी।


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