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ग्लू फैक्ट्रियों का कहर, गंगा में घुल रहा जहर

By Edited By: Published: Wed, 18 Sep 2013 01:36 PM (IST)Updated: Wed, 18 Sep 2013 01:36 PM (IST)

चारुतोष जायसवाल, कानपुर

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जाजमऊ में अवैध रूप से संचालित ग्लू फैक्ट्रियां पतित पावनी गंगा के आंचल को मैला कर रही हैं। रोजाना हजारों लीटर प्रदूषित पानी जाकर गंगा की निर्मलता को चोट पहुंचा रहा है।

प्योंदी, वाजिदपुर व शेखपुर गांव किनारे करीब दो दर्जन से अधिक स्थानों पर चोरी छिपे कढ़ाव में चर्बी गलाने का काम धड़ल्ले से चल रहा है। भट्ठियों से निकल कर गंगा में समाने वाला काला पानी इसमें रहने वाले जलीय जीव जंतुओं के लिए भी खतरा है। दो माह के भीतर गंगा में तीन बार हजारों मछलियों की मौत हो चुकी है। गंगा किनारे सटे गांव के कुछ लोग इसका विरोध करते हैं पर दबंग उनका मुंह बंद कर देते हैं।

ऐसे तैयार करते चर्बी

टेनरियों से निकले चमड़े के छीलन (गोशन) को ट्रैक्टर से गंगा किनारे पहुंचाया जाता है। जिसके बाद छीलन को पानी भरे ड्रम या कढ़ाव में डाल चूल्हे पर चढ़ाकर तेज आंच में पकाया जाता है। कुछ देर बाद चर्बी ऊपर आ जाती है और प्रदूषित पानी नीचे बैठ जाता है। इसके बाद चर्बी को निकाल कर प्रदूषित पानी को गंगा में सीधे गिरा दिया जाता है।

कम हो रही घुलित आक्सीजन

चर्बी गलाने के बाद जो प्रदूषित पानी गंगा में गिराया जाता है, उसमें चमड़े का अधिकांश अंश होता है। गंगा में जैविक पदार्थ सड़ने से बायोलाजिकल आक्सीजन की डिमांड बढ़ती है जो कि घुलित आक्सीजन को खींच लेता है। इससे आक्सीजन कम हो रही है।

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मामला संज्ञान में आया है। डीएम के साथ बैठक के बाद एक कमेटी बनाई गई है। जल्द ही पुलिस बल के साथ छापा मारकर ग्लू भट्ठियों को नष्ट किया जाएगा।

- टीयू खान, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी

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