Move to Jagran APP

मक्का की बोआई से जलस्तर घटा

जागरण संवाददाता, कन्नौज : प्रतिबंध के बाद भी जिले के किसान मक्का बोने से बाज नहीं आ रहे हैं। पहली ¨स

By JagranEdited By: Published: Sat, 25 Mar 2017 01:01 AM (IST)Updated: Sat, 25 Mar 2017 01:01 AM (IST)
मक्का की बोआई से जलस्तर घटा

जागरण संवाददाता, कन्नौज : प्रतिबंध के बाद भी जिले के किसान मक्का बोने से बाज नहीं आ रहे हैं। पहली ¨सचाई में जलस्तर काफी हद तक घट चुका है जबकि आगे कई सींच बाकी हैं। डार्क जोन इलाके तालग्राम व जलालाबाद समेत छिबरामऊ, गुरसहायगंज, तिर्वा, जलालपुर पनवारा, सौरिख, हसेरन आदि इलाकों में 90 फीसद तक मक्का की बोआई की गई है। बाकी जगह पर आलू खोदाई के बाद बोआई अंतिम चरण पर है। जानकारों के मुताबिक इस बीच ¨सचाई के दौरान बिजली व पानी की जबरदस्त खपत हुई है। इससे जिले का जलस्तर काफी हद तक गिर चुका है। नलकूप चलने के दौरान बिजली आपूर्ति भी बराबर प्रभावित है। मक्का में आठ से दस ¨सचाई की जरूरत पड़ती है। इसमें अन्य फसलों की अपेक्षा पानी की खपत काफी होती है।

loksabha election banner

मक्का से ज्यादा दलहन में फायदा

कृषि अधिकारियों के मुताबिक मक्का में लागत ज्यादा फायदा कम है। खाद, बीज, पानी, कीटनाशक आदि की समय पर किसान पूर्ति भी नहीं कर पाते हैं। इस कारण अक्सर फसल बर्बाद हो जाती हैं। इन हालातों से बचने के लिए किसान उड़द, मूंग, अरहर आदि दलहनी फसलों की बोआई करें तो बेहतर होगा। एक ¨सचाई में यह फसल तैयार हो जाती है। साथ ही लागत कम मुनाफा ज्यादा की संभावनाएं रहती हैं।

पलेवा कर बोएं जायद फसल

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक जायद फसल की बोआई करते समय सावधानी बरतें वरना नुकसान तय है। किसानों को चाहिए कि वह पलेवा के बाद ओठ आने पर ही बोआई करें। खासकर कद्दू, खीरा, तोरई, लौकी, सेम, ¨भडी आदि पर विशेष ध्यान दें। खेतों में नालियां बना तरबूज, खरबूज, ककड़ी, खीरा आदि की फसल बोएं। एक से तीन मीटर की दूरी पर बीज डालें। इससे पौधे बढ़ने पर एक-दूसरे में लिपटेंगे नहीं और तेजी से बढ़ेंगे। ¨सचाई के वक्त पानी नाली के सहारे निकल जाएगा। कटरी इलाकों के बाद अब खेतों पर जायद फसल की बोआई चल रही है।

इनका कहना है

जिले का जलस्तर कम है। मक्का में आठ से दस ¨सचाई की जरूरत पड़ती है। इस कारण पानी की खपत ज्यादा होती है। इसका सीधा असर पड़ता है। मक्का की जगह उड़द, मूंग समेत अन्य दलहनी फसलें करना बेहतर साबित होगा।

-डा. अमर ¨सह, कृषि वैज्ञानिक उद्यान।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.