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औषधि विभाग सुस्त, गरीबों की जेब पर डाका

कन्नौज, जागरण संवाददाता : औषधि विभाग की सुस्ती गरीबों की जेब पर डाका डाल रही है। विभाग के जिले में स

By Edited By: Published: Sun, 16 Oct 2016 08:08 PM (IST)Updated: Sun, 16 Oct 2016 08:08 PM (IST)
औषधि विभाग सुस्त, गरीबों की जेब पर डाका

कन्नौज, जागरण संवाददाता : औषधि विभाग की सुस्ती गरीबों की जेब पर डाका डाल रही है। विभाग के जिले में संचालित मेडिकल स्टोरों पर छापेमारी न करने से प्रतिबंधित दवाइयां खुलेआम बिक्री कर जनता से दोगुने दाम वसूले जा रहे हैं। यहां जेनरिक दवाइयां भी धड़ल्ले से बिक रही हैं। विभागीय अफसरों पर सवालिया निशान खड़े हो रहे लेकिन कार्रवाई के स्थान पर सब चुप्पी साधे हैं।

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जिले में 722 मेडिकल स्टोर संचालित हैं। इनमें 207 थोक व 515 फुटकर दवा बिक्री के हैं। औषधि विभाग के उच्चाधिकारियों को जिले में कम से कम प्रतिमाह दस मेडिकल स्टोर का निरीक्षण करना होता है लेकिन काफी समय से ये काम सिर्फ कागजों पर चल रहा है। भौतिक सत्यापन नहीं हुए हैं। लगातार जांच व कार्रवाई से मेडिकल स्टोर में गड़बड़ी व मानक पूरे होते रहते हैं लेकिन इस बीच ऐसा नहीं हो पा रहा। जांच के आदेश के बाद भी औषधि विभाग सुस्त है। नतीजा मेडिकल स्टोर संचालक फायदे में हैं। विभाग के बाबुओं से साठगांठ कर कई मेडिकल स्टोर बगैर लाइसेंस धड़ल्ले से चल रहे हैं। इनमें जेनरिक व प्रतिबंधित दवाइयों को खुलेआम बिक्री कर दो से तीन गुने तक दाम लोगों से वसूले जा रहे हैं।

छह माह में सिर्फ सात दुकान निरस्त

औषधि विभाग के अनुसार अप्रैल से सितंबर तक चलाए गए अभियान में सात दुकानों को निरस्त किया गया। यह मेडिकल स्टोर बिना फार्मासिस्ट व कागजातों में कमी के बावजूद चल रहे थे। वहीं, 22 मेडिकल स्टोर निलंबित किए गए। इनमें अधूरे कागज, साफ-सफाई, फ्रिज न होने समेत अन्य छोटी-मोटी कमियां रहीं। 11 मेडिकल स्टोर मालिकों को चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। छह माह में ये कार्रवाई महज ऊंट के मुंह में जीरा के बराबर है।

फार्मासिस्ट की अनिवार्यता

मेडिकल स्टोर संचालन के लिए फार्मासिस्ट की स्वीकृति अनिवार्य है। यह व्यवस्था इसलिए लागू की गई है कि मेडिकल स्टोर पर गड़बड़ी में फार्मासिस्ट पर कार्रवाई की जा सके। यहां तक कि उसकी डिग्री तक अवैध करने का प्रावधान है। बगैर फार्मासिस्ट वाले मेडिकल स्टोर निरंकुश होकर ग्रामीण अंचल में खूब खेल करते हैं। इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है। विभागीय सांठ-गांठ की वजह से यह लोग बचे रहते हैं।

इनका कहना है

मेडिकल स्टोर पर अगर प्रतिबंधित दवाइयों की बिक्री हो रही है तो जांच कराई जाएगी। जांच में मामला सच मिलने पर दोषी पर विभागीय व कानूनी कार्रवाई होगी। मेडिकल स्टोरों पर छापामारी के लिए टीम गठित कर कार्रवाई की जाएगी।

-डा. उदय भान ¨सह, मुख्य चिकित्साधिकारी।


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