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NDA President Candidate : बुंदेलखंड में भगवा किले के शिल्पकार थे रामनाथ कोविंद

रामनाथ कोविंद का झांसी से गहरा नाता रहा है। यहां वह करीब पांच माह तक रहे और भाजपा की नींव मजबूत करते रहे। कोविंद को सबसे पहले जुलाई 2013 में झांसी भेजा गया था।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 20 Jun 2017 01:56 PM (IST)Updated: Tue, 20 Jun 2017 02:08 PM (IST)
NDA President Candidate : बुंदेलखंड में भगवा किले के शिल्पकार थे रामनाथ कोविंद
NDA President Candidate : बुंदेलखंड में भगवा किले के शिल्पकार थे रामनाथ कोविंद

झांसी [राजेश शर्मा]। एनडीए के देश के सर्वोच्च पद के लिए घोषित प्रत्याशी रामनाथ कोविंद को बुंदेलखंड में भगवा किले का शिल्पकार कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगा। कोविंद ने लोकसभा चुनाव से पहले झांसी में आयोजित मोदी रैली की कमान संभाली थी और इसी रैली में उठी हुंकार ने बुंदेलखंड की चारों सीटों को भाजपा की झोली में डाल दिया था।

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रामनाथ कोविंद का झांसी से गहरा नाता रहा है। यहां वह करीब पांच माह तक रहे और भाजपा की नींव मजबूत करते रहे। कोविंद को सबसे पहले जुलाई 2013 में झांसी भेजा गया था। यह वह वक्त था, जब भाजपा लोकसभा चुनाव में फतह का तानाबाना बुन रही थी। 

प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी देशभर में रैलियां आयोजित कर रहे थे। झांसी में उनकी बुंदेलखंड स्तरीय रैली होनी थी, जिसकी सफलता की बागडोर रामनाथ कोविंद को सौंपी गई। कोविंद ने 20 दिन पहले ही झांसी में डेरा डाल लिया। तब झांसी में भाजपा कई धड़ों में बंटी नजर आ रही थी, जिससे रैली पर ग्रहण छाने लगा, लेकिन रामनाथ कोविंद के सरल और मिलनसार वाले स्वभाव ने कार्यकर्ताओं को एकजुट कर दिया।

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रैली से पहले गुटों में बंटे नेता रैली की तैयारियों में जुट गए और मोदी की रैली ऐतिहासिक बन गई। इसमें जुटी भीड़ ने पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए। 

बुंदेलखंड स्तरीय इस रैली से नरेंद्र मोदी ने ऐसी हुंकार भरी, जिसने बुंदेलखंड की राजनैतिक तस्वीर ही बदल दी। लोकसभा चुनाव में यहां की चारों सीटों पर भगवा परचम फहराने लगा। इसका लाभ हाल ही में हुए विधान सभा चुनाव में भी मिला और बुंदेलखंड की सभी 19 सीटें भाजपा की झोली में आ गईं। रैली को सफलता की बुलंदी पर पहुंचाने के बाद भी कोविंद ने झांसी नहीं छोड़ी और वह करीब पांच माह तक यहां डेरा डाले रहे। 

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टिकट कटना बना संजीवनी

लोकसभा चुनाव में पूरा देश नरेंद्र मोदी लहर पर सवार था। राजनैतिक जानकारों की मानें तो उस समय जालौन सीट से रामनाथ कोविंद को टिकट मिलता तो वह जीत भी जाते, लेकिन तब वह सिर्फ सांसद या मंत्री बनकर रह जाते।

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टिकट कटने के बाद भी पार्टी के प्रति समर्पण को देखते हुए भाजपा ने बिहार चुनाव से पहले आठ अगस्त 2015 को बिहार का राज्यपाल बनाया। अब देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित कर भाजपा ने कोविंद को ईमानदारी और समर्पण का फल दिया है।


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