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'ऱज़्जाक' के साथ 'ननकू' की भी मनेगी ईद

पहल - मुस्लिम परिवार ख़्ारीदारी न कर ़जरूरतमन्दों की मदद करेंगे - ़जकात का दायरा बढ़ाने का किया

By JagranEdited By: Published: Thu, 07 May 2020 01:01 AM (IST)Updated: Thu, 07 May 2020 01:01 AM (IST)
'ऱज़्जाक' के साथ 'ननकू' की भी मनेगी ईद
'ऱज़्जाक' के साथ 'ननकू' की भी मनेगी ईद

पहल

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- मुस्लिम परिवार ख़्ारीदारी न कर ़जरूरतमन्दों की मदद करेंगे

- ़जकात का दायरा बढ़ाने का किया फैसला

झाँसी : लॉकडाउन की मार सबसे अधिक ़गरीबों पर पड़ी है। साथ ही, ऐसे भी बहुत लोग हैं, जिनके छोटे काम पूरी तरह बन्द हो गये हैं और उनके लिए जीवन यापन करना कठिन होता जा रहा है। 'ननकू' और 'ऱज़्जाक' काल्पनिक किरदार हैं हिन्दू और मुसलमान को प्रदर्शित करने के लिए - ़जरूरतमन्द दोनों हो सकते हैं। ऐसे लोगों की मदद के लिए कुछ मुस्लिम परिवार सामने आए हैं। समाज को दिशा दिखाने वाली पहल करते हुए इन परिवारों ने इस बार अपने सबसे बड़े त्योहार ईद पर ख़्ारीदारी न करने का ़फैसला किया है और उस बचत का उपयोग वे ़जरूरतमन्दों की मदद के लिए करेंगे।

ईद के लिए हर मुस्लिम परिवार खास तैयारी करता है। नये कपड़े, अच्छा सामान, हर कोई त्योहार पर कुछ खास करने की सोच रखता है। इस त्योहार के लोग मुस्लिम कई महीनों तक बचत करते हैं, ताकि ईद फीकी न हो। ईद पर ़जकात हर मुस्लिम परिवार को करनी होती है। इसका मतलब ़गरीबों की मदद से है। इस बार लॉकडाउन के कारण स्थितियाँ बहुत अलग हैं। मस्जिद बन्द हैं, इसलिए लोग घर पर ही इबादत कर रहे हैं। लॉकडाउन का असर रो़ज कमाने वालों पर गहरा हुआ है। इनकी ईद कैसे मने, यह तैयारी कुछ मुस्लिम परिवारों ने कर ली है। संगम विहार कॉलनि आवास-विकास निवासी इम्तिया़ज अहमद कहते हैं कि इस बार उन्होंने ़जकात का दायरा बढ़ाने का निर्णय लिया है। ़जरूरतमन्दों के आगे इस वक्त परिवार के भरण-पोषण का संकट है, ऐसे में हमें उनकी मदद करनी चाहिए। इसीलिए, उनके परिवार ने इस बार तय किया है कि ईद पर होने वाली ख़्ारीदारी नहीं करेंगे। अपने कई रिश्तेदारों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित किया है। लोग इसके लिए तैयार भी हैं। इस पैसे से हम ़जरूरतमन्दों की मदद करेंगे, ये हमारा ़फ़र्ज भी है।

फोटो : हाफ कॉलम

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इन्होंने कहा

0 बहुत लोग इस वक्त काम न होने के कारण आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। ऐसे लोगों की मदद करना हमारी ़िजम्मेदारी है। त्योहार पर हर बार ख़्ारीदारी हो, यह ़जरूरी नहीं। यह समय लोगों की मदद करने का है।

- इम्तिया़ज अहमद

0 रम़जान में हर मुस्लिम परिवार ़जकात करता है। ़जरूरत है इसे बढ़ाने की, ताकि सभी लोगों की ईद मन पाए। सभी लोगों को इसके लिए आगे आना चाहिए, ताकि कोई ़जरूरतमन्द मदद से वंचित न रह जाए।

- हाजी शकील अहमद

0 लॉकडाउन के कारण सभी अपने घर में हैं। इस त्योहार हमें सुरक्षित भी रहना है और ़जरूरतमन्दों की मदद भी करनी है। मैं अपनी बचत का उपयोग इस नेक कार्य के लिए करूँगा।

- मुईन अहमद

0 इस बार हमें बा़जार जाने से परहेज करना चाहिए। उन लोगों के बारे में भी सोचना चाहिए, जिनके सामने घर चलाने का संकट खड़ा हो गया है। मैं अपने परिवार के साथ यह त्योहार सादगी से मनाऊँगा और अधिक से अधिक ़जरूरतमन्दों की मदद करूँगा।

- अख्तर बेग

बीच में बॉक्स

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फोटो

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तोहफे से हा़िफ़जों का हौसला बढ़ाएँ

झाँसी : लॉकडाउन का असर हा़िफ़जों पर भी पड़ा है। आम दिनों में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना इनकी आमदनी का जरिया होता है तो रम़जान में तराबी पढ़ाने पर लोग इन्हें तोहफे देकर इनकी हौसला अफजाई करते हैं। चूँकि ट्यूशन भी बन्द है और तराबी भी नहीं पढ़ायी जा रही, ऐसे में मुफ्ती साबिर नदवी ने हा़िफ़जों को तोहफे देकर उनका हौसला बढ़ाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि ईमाम व हा़िफ़ज दीन के रहबर हैं, उनकी हौसला अफजाई करें, पर ़जकात की तरह नहीं, तोहफे देकर।

फाइल : हिमांशु वर्मा

समय : 7.40 बजे

6 मई 2020


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