ट्रेनों की थमी ऱफ्तार, जारी है इन्त़जार..
झाँसी : मौसम के तेवर ने शहर के हालातों को भी बदल दिया है। बेफिक्री से नगर भ्रमण करने वाले ़कदम अब दि
झाँसी : मौसम के तेवर ने शहर के हालातों को भी बदल दिया है। बेफिक्री से नगर भ्रमण करने वाले ़कदम अब दिन में सूरज तलाशते दिखते हैं, और रात में अलाव। वहीं एक दृश्य ऐसा भी होता है, जहाँ अलाव तो कहीं रैन बसेरों का सहारा लेते हुए मुसा़िफरों ने किसी तरह जाड़े की रात काटने का इन्त़जाम कर लिया है। इन दोनों स्थितियों से जुदा बात अगर उन राहगीरों या मुसा़िफरों की हो, जो झाँसी स्टेशन पर सि़र्फ जर्नी ब्रेक करने या ट्रेन के इन्त़जार के मकसद से रुकते हैं, उनके लिये सर्दी सितम ही नहीं, परेशानियों का पहाड़ बन जाती है। दूर-दूर शहरों से आने वाले लोग, जो स्टेशन पर पटरियों को टकटकी लगाकर देखते हैं और अपनी ट्रेन के इन्त़जार में घण्टों गु़जार देते हैं। कितना कठिन होता होगा वो इन्त़जार, जो उन्हें मं़िजल पर पहुँचने के लिये देरी कराता है। बिना किसी गलती के स़जा भुगतते ये यात्री स्टेशन पर बस किसी तरह अपना समय पार करते ऩजर आते हैं। आइये, ़करीब से जानते हैं इन्त़जार के इस दर्द को, जो हम, आप, सभी ने कभी न कभी ़जरूर भुगता होगा।
थमी ऱफ्तार पर सर्दी का सितम
मौसम के बदलते अन्दा़ज का अंजाम कुछ ऐसा हुआ कि ट्रेनों की ऱफ्तार थम-सी गयी। ऐसे में यात्रियों का परेशानियों से दो-चार होना स्वाभाविक है। स्टेशन पर मौजूद हर व्यक्ति किसी न किसी वजह के चलते यात्रा कर रहा है और ऐसे में ट्रेन लेट होने से उनकी परेशानी बढ़ जाती है। एक बात स्पष्ट है कि उनकी परेशानी दिन ढलने के साथ ही बढ़ जाती है। शाम होते ही छत और सुरक्षित स्थान की तलाश में यात्रियों को यहाँ-वहाँ भटकना पड़ता है। जगह मिली, तो ठीक वरना कभी बैठकर तो कभी यहाँ-वहाँ अलाव के सहारे रात काटते मुसा़िफर स्टेशन का आम दृश्य होता है।
सतर्कता से घट जाती है मुश्किलें
स्टेशन पर मौजूद अंकित, संजय, कुनाल और राजीव दिल्ली जाने के लिये स्टेशन पर ट्रेन का इन्त़जार कर रहे थे। सभी बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय के छात्र हैं और टेक्नॉलजि के बेहद ़करीब। सभी स्मार्टफोन पर रेलवे की साइट के माध्यम से ट्रेन पर ऩजर रखे हुए थे। जब देखा कि ट्रेन झाँसी से लगभग 36 किलोमीटर दूर है, तब ही वे स्टेशन की ओर बढ़े। हालाँकि उनकी ट्रेन पातालकोट एक्सप्रेस 19 घण्टे की देरी से चल रही थी, लेकिन टेक्नॉलजि ने उन्हें इस परेशानी से बचा लिया।
कोहरे से निबटने की तैयारी में है रेलवे
सर्दी के दिनों में कोहरे के कारण ट्रेन का लेट होना सालों से परेशानी का कारण बना हुआ है। इस परेशानी से निबटने के लिये कई प्रयोग किये जा रहे हैं। दरअसल, ट्रेन का लेट होने का मुख्य कारण सर्दी और कोहरा होता है और कभी-कभी रेल दुर्घटना का कारण भी यह कोहरा या सर्दी के कारण पटरी पर पड़ी दरार होती है। ऐसे में रेलवे द्वारा लेटेस्ट टेक्नॉलजि का प्रयोग करते हुए कैब सिग्नलिंग जीपीएस सिस्टम का प्रयोग युद्ध स्तर पर चल रहा है। इस प्रयोग के बाद कोहरे के कारण होने वाली देरी से मुक्ति मिल सकेगी।
इन्तहाँ हो गई इन्त़जार की..
स्टेशन पर प्रतीक्षालय में बैठीं अ़जाह खान अपने बेटे ़िफरा़ज खान के साथ भोपाल जाने के लिये स्टेशन पर बीइचईएल से अल सुबह आ गयी थीं। यहाँ आकर मालूम हुआ कि ट्रेन लेट है। इस कारण से कई घण्टे स्टेशन पर ट्रेन के इन्त़जार में बिता चुकी हैं।
- कानपुर निवासी धर्मेन्द्र सिंह आन्ध्र प्रदेश में व्यवसाय करते हैं। वे अपनी पत्नी और बेटे के साथ कानपुर से बैंगलुरु जा रहे हैं और उनका जर्नी ब्रेक झाँसी में था। ट्रेन आने में देरी थी, लेकिन कितनी, ये मालूम नहीं हो पा रहा था। अपराह्न 3 बजे आने वाली ट्रेन का अपराह्न 2 बजे तक कोई अनाउंस नहीं हुआ था। इस कारण धूप में बैठा यह परिवार किसी तरह समय बिता रहा था।
- गौरव शर्मा अशोकनगर (मध्य प्रदेश) के निवासी हैं। बीते दिनों झाँसी आये थे। आज वापस जाने के लिये ट्रेनों की स्थिति देखते हुए एक ट्रेन टिकट कैंसिल करा कर दूसरी ट्रेन का इन्त़जार कर रहे हैं। गौरव बताते हैं कि उनकी ट्रेन जो कल शाम आने वाली थी, उसका कोई पता नहीं चला और अब दूसरी ट्रेन के इन्त़जार में सुबह से बैठे हैं।