बदहाली ने बदरंग कर दिए बा़जार
झाँसी : कल्पना कीजिए एक ऐसे शहर की, जहाँ आवागमन सुगम हो। बा़जार ऐसे हों, जहाँ ख़्ारीददारी करने जाने
झाँसी : कल्पना कीजिए एक ऐसे शहर की, जहाँ आवागमन सुगम हो। बा़जार ऐसे हों, जहाँ ख़्ारीददारी करने जाने के लिए उत्साह बढ़े। न जैम लगे, न वाहनों को खड़ा करने की समस्या हो। महानगर में यह कल्पना खुली आँखों से देखे गए सपने की तरह बिखर गई है। यहाँ बा़जार तो हैं, पर व्यवस्थाएं इतनी बदहाल हो गई हैं कि शॉपिंग करना भी बोझिल-सा लगने लगा है। उत्साह उस समय निराशा में बदल जाता है, जब बा़जार में प्रवेश करते ही सिकुड़ी सड़कों पर वाहनों का जमघट रास्ता रोक लेता है। यहाँ पसरे अतिक्रमण ने लोगों की हालत पस्त कर रखी है। इन अव्यवस्थाओं का दोषी सरकारी तन्त्र हो सकता है, लेकिन ़िजम्मेदार हम भी कम नहीं है। दरअसल, महानगर में विकसित बा़जार की अधिकांश सड़कें मानक से कहीं सँकरी हैं, तो दुकानदारों द्वारा किए गए अतिक्रमण ने इनके स्वरूप और समेट दिया है। बा़जारों के बाहर पार्किंग को लेकर बनाए गए डि़जाइन फाइल्स में ़कैद होकर रह गए हैं। नियम तोड़ने वालों पर सख्ती के प्राविधान हैं, पर इसके अमल में लाने की कोशिश भी कभी नहीं की गई।
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किसी भी शहर के विकास की तस्वीर वहाँ की सड़कों, यातायात, रहन-सहन और बा़जार की व्यवस्थाओं से स्पष्ट होती है। अब इसे ़जरूरत कहें या शौक - बा़जार से हर किसी का वास्ता रहता है। ख़्ारीददारी करना सभी को पसन्द है, लेकिन अगर अपने महानगर की बात करें, तो यहाँ ग्राहकों के लिए बा़जार जाना किसी जंग जीतने के समान हो गया है।
सुभाषगंज
बदहाली की तस्वीर देखनी हो तो बुन्देलखण्ड के सबसे बड़े किराना मार्केट, यानी सुभाषगंज में ऩजर आ जाएगी। यहाँ उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र से रो़जाना ह़जारों लोग ख़्ारीदारी करने आते हैं। इससे बा़जार में हर समय भीड़ बनी रहती है। इस बा़जार की सड़क बहुत अधिक चौड़ी नहीं है, उस पर व्यापारियों द्वारा दुकान की सीमा से बाहर तक सामान फैला दिया जाता है, जिससे यहाँ अक्सर जैम की स्थिति बन जाती है। खोवा मण्डी से लेकर बिसाती बा़जार की रोड पार करने के बाद भी वाहनों का रेंगना बन्द नहीं होता है। इससे भी बुरा हाल बड़ा बा़जार के मालिनों का चौराहा से रामलीला मंच के बीच की सड़क पर होता है। यहाँ दुकानों के आगे हाथ ठेले खड़े रहते हैं, तो डिवाइडर के दोनों तरफ अस्थाई दुकानदारों ने ़कब़्जा जमा रखा है। अतिक्रमण के बाद बची थोड़ी-सी सड़क पर अक्सर वाहन फँस जाते हैं।
मानिक चौक
सिन्धी तिराहे से शुरू होने वाले मानिक चौक बा़जार जाने वाले ग्राहकों की संख्या कम नहीं है। यहाँ भी दुकानदारों ने बाहर सड़क तक सामान लगा रखा है। इसके बाद ग्राहकों के वाहन खड़े होने से सड़क छोटी हो जाती है और यातायात व्यवस्था धराशायी। रही-सही कसर फुटपाथी दुकानदार पूरी कर देते हैं।
न्यू रोड
मिनर्वा से गोविन्द चौराहा की ओर जाने वाले मार्ग को न्यू रोड के नाम से जाना जाता है। अन्य बा़जारों की अपेक्षा यहाँ सड़क की चौड़ाई काफी है, लेकिन अतिक्रमण की वजह से सड़क का कुछ हिस्सा ही ऩजर आता है। इस मार्केट के दोनों ओर आधी सड़क तक वाहनों की कतार लगी रहती है, जो जैम का कारण बनती है। अन्य जगहों की तरह यहाँ भी अतिक्रमण हटाने के कई बार प्रयास हुए, पर आज तक सफलता नहीं मिल सकी।
इलाइट-जीवनशाह
इलाइट से जीवनशाह के बीच की सड़क पर एक तरफ नगर निगम की दुकानें हैं, तो दूसरी तरफ निजी प्रतिष्ठान। नगर निगम ने भी दुकानों के सामने पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं की है, जिससे यहाँ आने वाले ग्राहकों के वाहन सड़क पर खड़े होते हैं। जीवनशाह तिराहे पर बड़े व्यावसायिक भवन हैं, जिनमें आने वाले लोग सड़क को घेर लेते हैं। जीवनशाह के बगल में स्थित मेट्रो और मोदी टावर में आने वाले ग्राहकों सड़क पर वाहनों का जमघट लगने से यहाँ हादसों का ग्राफ भी काफी अधिक हो गया है। मोदी टावर और मेट्रो टावर के बाहर सड़क तक खड़े होने वाले वाहनों की वजह सभी को मालूम है, पर आज तक किसी अधिकारी ने समस्या की जड़ पर प्रहार करने की कोशिश नहीं की। जब-तब यातायात पुलिस ही यहाँ कार्यवाही करती दिखती है। इसी तरह सड़क के दूसरी ओर का किनारा बस मालिकों ने अवैध पार्किंग के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। सड़क तक खड़े वाहन के साथ ही बसों के खड़े रहने के कारण इस सड़क पर चलने वाले वाहनों को कम रास्ता मिलता है। इस तिराहे की एक मुसीबत यहाँ खुली शराब की दुकानें भी हैं, जिनके बाहर मेला-सा लगा रहता है और यहाँ खड़े होने वाले वाहनों के साथ ही सड़क पर जाम टकराने वालों के कारण शाम के समय यहाँ से निकलना किसी ख़्ातरे से कम नहीं।
इलाइट-सीपरी रोड
इलाइट चौराहा से सीपरी की ओर जाने वाली सड़क पर प्रमोद पेट्रोल पम्प के सामने सड़क की चौड़ाई इतनी है कि कभी यातायात में दिक्कत न आए, लेकिन यह चौड़ाई रात को ही दिखाई देती है। दुकानदारों का अतिक्रमण समाप्त होने के बाद वाहनों की कतार से सड़क घिरी रहती है, जिससे रास्ता सिकुड़कर कुछ फीट ही बचता है। इस मार्ग की यह स्थिति तब है, जब इसे राजमार्ग का दर्जा मिला है और यहाँ से ही तमाम अधिकारियों का निकलना होता है।
सीपरी बा़जार
सीपरी बा़जार में सुभाष मार्केट और इससे सटी सब़्जी मण्डी में प्रवेश करना ही लोगों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं। यहाँ की स्थिति भी शहर के अन्य बा़जारों की तरह हो गई है। वाहनों के खड़ा करने की व्यवस्था न होने के कारण सड़क का काफी हिस्सा अवैध पार्किंग के लिए इस्तेमाल हो जाता है और रास्ता सिकुड़ने से जैम की स्थिति बनती रहती है।
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फाइलों में दब गई पार्किंग
झाँसी : महानगर के प्रमुख बा़जारों को बदहाली से मुक्त कराने के लिए प्रशासन, व्यापारियों, नगर निगम व पुलिस महकमे ने लगभग 5 साल पहले पहल की थी। उस समय कई ऐसे स्थलों का चयन किया गया था, जहाँ पार्किंग की व्यवस्था कर बा़जारों को अवैध पार्किंग की समस्या से मुक्त कराया जा सके। इससे नगर निगम को भी आर्थिक लाभ हो सकता है।
यह बन सकते हैं पार्किंग के विकल्प
रामचरित मानस मैदान : कोतवाली के पास स्थित रामचरित मानस मैदान को अगर पार्किंग के उपयोग में लाने की पहल की जाए, तो गन्दीगर टपरा, पचकुइयाँ, नरिया बा़जार व सर्राफा बा़जार को अवैध पार्किंग से राहत मिल जाएगी।
महिला अस्पताल के सामने की सड़क : इस मार्ग पर नगर निगम द्वारा आपे आदि खड़े करने का ठेका दिया गया है। अगर इस सड़क के एक ओर पट्टी बनाकर दुपहिया व चार पहिया वाहन खड़े करवाए जाएं, तो मानिक चौक के बा़जार में वाहनों की संख्या कम हो जाएगी।
चन्द्रशेखर तिराहा : मानिक चौक के बीच में चन्द्रशेखर तिराहा के चारों ओर हाथ ठेला वालों का जमघट है। अगर इस स्थान को अतिक्रमण मुक्त कराते हुए चारों तरफ पार्किंग पट्टी बनाई जाए, तो कुछ वाहनों को खड़ा करवाया जा सकता है।
रानी महल के सामने : यहाँ नगर निगम द्वारा एक पार्किंग स्टैण्ड संचालित किया जा रहा है। इसके बगल में एक मैदान खाली पड़ा हुआ है। अगर नगर निगम उक्त भूमि को व्यवस्थित कर पार्किंग की व्यवस्था करे, तो सुभाष गंज में ट्रैफिक लोड आधा हो जाएगा।
बड़ाबा़जार : मालिनों का चौराहा से रामलीला मंच की सड़क के बीच में डिवाइडर के दोनों ओर अवैध तरीके से अस्थाई दुकानदारों का ़कब़्जा जमा हुआ है। इस डिवाइडर को ़कब़्जा मुक्त कराते हुए अगर ़जेब्रा लाइन डालकर पार्किंग में इस्तेमाल किया जाए, तो शहर की काफी बड़ी समस्या का हल हो जाएगा। यहाँ के दुकानदारों को मण्डी पर शिफ्ट किया जा सकता है।
न्यू रोड : इस सड़क के लिए शनि मन्दिर के आसपास पार्किंग की व्यवस्था की जाए, तो काफी परेशानी कम हो जाएगी।
सीपरी बा़जार : यहाँ पेट्रोल पम्प से इण्डियन ऑयल डिपो के गेट तक की पट्टी पर पहले पार्किंग कराने की योजना बनाई गई थी, लेकिन स़फल नहीं हो पाई। यह प्रयास अगर हो जाए तो सीपरी बा़जार में वाहनों की भीड़ कम होगी और आवागमन सुगम हो जाएगा।
जीवनशाह चौराहा : यहाँ के लिए यूनियन बैंक से आगे नगर निगम की खाली पड़ी ़जमीन पर पार्किंग की व्यवस्था की जा सकती है। इससे सड़क को घेरने वाले वाहनों की संख्या कम होगी और हादसों से लोगों को बचाया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त एसपीआई के सामने किला मार्ग के किनारे भी वाहन खड़े कराए जा सकते हैं।