ब्लैकमेल करने वाला 'बण्टी' हिरासत में
झाँसी : विजिलेन्स अधिकारी बनकर रेलवे कर्मचारियों को ब्लैकमेल करने वाले पूर्व कर्मचारी को धौलपुर (राजस्थान) में दबोच लिया गया। उसके पास से उसकी पुरानी आइडी बरामद हुई है। कई विजिलेन्स केस बनने के बाद रेलवे ने इस कर्मचारी को बर्खास्त कर दिया था। इसके बाद से ही वो इस प्रकार के कामों में लिप्त हो गया। केन्द्रीय सतर्कता आयोग के अधिकारी होने का दावा कर यह शख्स कर्मचारियों से लम्बे समय से रुपए ऐंठ रहा था।
मनीष वर्मा झाँसी मण्डल में वर्ष 1992 में कमर्शल क्लर्क के तौर पर कार्यरत था। उसकी शिकायतें लगातार प्राप्त होने के बाद रेलवे प्रशासन ने उसे इण्टर डिवि़जन स्थानान्तरित कर दिया। इस पर उसे बल्लभगढ़ (हरियाणा) में पोस्टिंग दी गई। उसके ख़्िाला़फ यहाँ मिली शिकायतों के अम्बार को देखते हुए उसे दिल्ली भेज दिया गया। मनीष के कारनामे यहीं समाप्त नहीं हुए। दिल्ली में भी वह विजिलेन्स केस में फँस गया, जिस पर उसे मुरादाबाद डिवि़जन भेज दिया गया। यहाँ आकर उसने एक अजीबो-़गरीब हऱकत शुरू कर दी। वह मण्डल रेल प्रबन्धक, अपर मण्डल रेल प्रबन्धक, वरिष्ठ मण्डल रेल प्रबन्धक व अन्य उच्च अधिकारियों को अपनी पहचान छिपाकर अश्लील मेसिज भेजता था। विरोध करने पर मारने की धमकी देता था। हद तब हो गई, जब वह इसी तरह के मेसिज रेलवे बोर्ड के अधिकारियों तक को भेजने लगा। इस मेसिज की अधिकारियों ने जब जाँच करायी, तो उसकी पोल खुल गई। बोर्ड के हस्तक्षेप के बाद मनीष को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। उस समय वह मुरादाबाद के सन्दीला स्टेशन पर बुकिंग क्लर्क के तौर पर कार्यरत था। बर्खास्त होने के बाद उसने रेल कर्मचारियों को ठगने की रणनीति बनायी। वह खुद को विजिलेन्स का अधिकारी बताकर ट्रेन में चल रहे टीटीइ या कण्डक्टर का चार्ट चेक करता था, साथ ही अनाधिकृत रूप से यात्रा कर रहे यात्रियों को पकड़कर उनकी रसीद बनवाता व चेकिंग स्टाफ को केस बनाने के नाम पर ब्लैकमेल करता। एक बार सफल होने के बाद वह नियमित रूप से ऐसा करने लगा। विजिलेन्स केस में फँसने के बजाय कर्मचारी उसे रुपए देने में ही भलाई समझते थे। मामला ऊपर पहुँचा, तो खलबली मच गई। उसे दबोचने की कोशिश कई बार की गई, पर सफलता नहीं मिली। गत दिवस मण्डल के धौलपुर स्टेशन से गुजर रही एक ट्रेन में वह चेकिंग करने लगा। एक कर्मचारी को शक हुआ, तो उसने जानकारी कण्ट्रोल को दे दी। बस यहीं वह पुलिस के जाल में फँस गया। राजस्थान पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया। तलाशी के दौरान उसके पास से बुकिंग क्लर्क की आइडी बरामद हुई। पूछताछ करने के बाद मनीष के विरुद्ध सम्बन्धित धाराओं में मुकदमा द़र्ज कर उसे जेल भेज दिया गया।