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जागरण इन्फो

By Edited By: Published: Mon, 21 Apr 2014 01:00 AM (IST)Updated: Mon, 21 Apr 2014 01:00 AM (IST)
जागरण इन्फो

वोटिंग आँकड़ा ही तय करता है प्रत्याशी की किस्मत

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2004 के आम चुनाव में पूरे देश में महज 218 उम्मीदवार ऐसे थे, जिन्हें कुल वोटिंग के 50 फीसदी से या इससे अधिक वोट मिले। हालाँकि कुल वोटर्स की संख्या की बात करें, तो केवल 6 प्रतिशत उम्मीदवारों को ही 50 फीसदी से अधिक वोट मिल पाए। 2009 के चुनाव में तो यह आँकड़ा घटकर मात्र 4 प्रतिशत रह गया। राजस्थान के टोंक सवाई माधोपुर में तो जीत का अन्तर सिर्फ 317 वोट का था।

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लोगो : जागरण इन्फो

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ट्रेन की फोटो

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'1322' पर होगा रेलवे समस्या का समाधान

रेलवे स्टेशन पर आये-दिन कोई न कोई अप्रिय घटना होती ही रहती है। इनका शिकार होने के बावजूद जल्दबाजी में कई बार हम कार्यवाही के प्रति सख़्त रवैया नहीं अपना पाते। यात्रियों की इस परेशानी को समझते हुए रेल प्रशासन ने हेल्पलाइन नम्बर की शुरूआत की है। इस पर फोन करके आप अपनी परेशानी द़र्ज करा सकते हैं। यह नम्बर है '1322'। फिलहाल यह सुविधा उत्तर रेलवे के क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत पाँचों मण्डलों अम्बाला, फिरोजपुर, मुरादाबाद, दिल्ली और लखनऊ के 731 रेलवे स्टेशन पर उपलब्ध होगी। यह हेल्पलाइन 'डिवि़जनल मॉडल' पर कार्य करेगी। शिकायतकर्ता लैण्डलाइन या मोबाइल फोन से इस पर शिकायत द़र्ज करा सकते हैं। इसकी खास बात यह है कि शिकायतकर्ता के लोकेशन के आधार पर कॉल स्वयं ही सम्बन्धित मण्डल नियन्त्रक के पास पहुँच जाएगी। वहाँ से सहायता के लिये तत्काल ़कदम उठाया जाएगा। इस सेवा के लिये रेलवे का सिग्नल और टेलिकॉम विभाग पंजाब, हरियाणा, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से सम्बन्धित बीएसएनएल एवं अन्य दूरसंचार सेवा प्रदाता कम्पनियों की सहायता लेगा।

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गणपत राय का बलिदान दिवस आज

गणपत राय का जन्म 17 ़फरवरी 1808 को ग्राम भौरो ़िजला लोहरदगा (झारखण्ड) में सम्पन्न परिवार में हुआ था। जंगलों में घूमना उनका शौ़क था। उस समय अंग्रेज अपने साम्राज्य की स्थापना हेतु भारत में जगह-जगह ़कब़्जा कर रहे थे। उनकी गतिविधि ही गणपत राय के मन में क्रान्ति की भावना ते़ज करती गई। वे अपने चाचा सदाशिव पाण्डे के पास पढ़ाई के लिये पालकोट चले गये। यहाँ चाचा की मृत्यु होने के बाद गणपत राव की योग्यता को देखते हुए उन्हें पालकोट का दीवान बना दिया गया। दीवान बनते ही उन्होंने अंग्रेजी सेना को भगाने का निश्चय किया। 2 अगस्त 1857 को उन्होंने अपने साथियों के साथ राँची जेल तोड़कर 300 वीरों को मुक्त करा लिया और विद्रोह करके वहाँ से अंग्रेजी सैनिकों को भगा दिया। 11 सितम्बर 1857 को वे राँची से चल दिये, इसी बीच अंग्रेज सैनिकों ने इनकी टुकड़ी पर हमला बोल दिया। इसमें कई क्रान्तिकारियों और अंग्रेजों की जान गई। अंग्रेजों ने लोगों को आतंकित करने के लिये उनकी लाशें तालाब के आसपास वृक्षों पर टांग दी। आज भी वह तालाब 'फाँसी का तालाब' कहलाता है। गणपत इस युद्ध में तो बच गये, पर कुछ दिनों बाद वे अंग्रेजों की पकड़ में आ गये। राँची आकर उन पर महाभियोग चला। 21 अप्रैल 1858 को राँची के एक स्कूल के पास कदम्ब के पेड़ पर गणपत राय को फाँसी दे दी। राँची में आज भी यह स्थान 'शहीदी चौक' के नाम से जाता है।

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बहाउल्लाह का घोषणा दिवस आज

'बहाई धर्म' के संस्थापक बहाउल्लाह का जन्म ईरान में हुआ था। लगभग 150 वर्ष पहले उन्होंने बहाई धर्म की स्थापना की थी और सन्देश दिया था कि हर युग में ईश्वर मानव जाति को शिक्षित करने कि लिये मानव रूप में जन्म लेता है। आज के ही दिन उन्होंने स्वयं को इसी ईश्वरीय अवतार का रूप बताया। दिल्ली का कमल मन्दिर बहाई धर्म के विश्व में स्थित 7 मन्दिरों में से एक है। पूरी दुनिया में बहाई धर्मावलम्बी हैं, जो बहाउल्लाह को ईश्वरीय अवतार मानते हैं।

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लोगो : बातें विज्ञान की

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पानी में तैरती पनडुब्बी की फोटो

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इस तरह पानी में डूबती और तैरती है पनडुब्बी

पनडुब्बी एक ऐसा कमरा (चेम्बर) होता है, जिसमें आवश्यकतानुसार पानी भरा या उससे बाहर छोड़ा जा सकता है। पनडुब्बी को पानी के अन्दर डुबाने के लिये इस चेम्बर में पानी भर दिया जाता है। इससे हटाए गये पानी से उत्पन्न उत्प्लावक अधिक हो जाता है। जब इस पनडुब्बी को पानी के ऊपर लाना होता है, तब इस चेम्बर से पानी छोड़ दिया जाता है। जिससे ये हटाए गए पानी द्वारा उत्पन्न उत्प्लावक पनडुब्बी के भार से ज्यादा या उसके बराबर हो जाता है। इस प्रकार पनडुब्बी पानी के ऊपर तैर सकती है।

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आज का इतिहास

0 आज के ही दिन 1952 को पहली बार सेक्रेट्री दिवस (एडमिनिस्ट्रेटिव प्रोफेशनल्स डे) मनाया गया।

0 2010 को सूरज की गतिविधियों की बारीकी से जाँच करने के लिये ़फरवरी में भेजा गया अमेरिकी अन्तरिक्ष एजेन्सी 'नासा' का सोलर डायनमिक्स ऑब़्जरवेट्री उपग्रह सूरज की सतह पर हो रहे विस्फोटों व अन्य गतिविधियों की तस्वीर लेकर लौटा।

फाइल : शिखा पोरवाल

समय : 3:00

20 अप्रैल 2014


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