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बागवानी से बनी आर्थिक समृद्धि की राह

जागरण संवाददाता, सिकरारा (जौनपुर) : भारत का भाग्य किसानों में और किसानों का भाग्य उसक

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Oct 2017 10:26 PM (IST)Updated: Sun, 15 Oct 2017 10:26 PM (IST)
बागवानी से बनी आर्थिक समृद्धि की राह
बागवानी से बनी आर्थिक समृद्धि की राह

जागरण संवाददाता, सिकरारा (जौनपुर) : भारत का भाग्य किसानों में और किसानों का भाग्य उसकी खेती की मिट्टी में। इस बात को चरितार्थ कर रहे हैं मीरगंज गांव के प्रगतिशील किसान अशोक कुमार यादव। पारंपरिक व आधुनिक खेती के साथ-साथ फलदार व शोभाकारी पौधों के साथ फूलों की बागवानी कर आर्थिक समृद्धि का आधार तैयार कर रहे हैं, जो अन्य कृषकों के लिए सीख है। इसमें उन्हें सफलता भी मिली है। जनपद के विभिन्न गांवों के प्रगतिशील किसान अशोक से खेती के गुर सीखने आए हैं।

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घड़रोजों का कहर व अन्य प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रहे क्षेत्र के किसानों का खेती से आज जहां मोह भंग हो रहा है वहीं अशोक आधुनिक व नई तकनीकी से खेती कर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं। अपने कुशल व्यवहार के कारण ही विगत चुनाव में गांव के लोगों ने इन्हें प्रधान चुन लिया। किसान जहां रासायनिक खादों के सहारे बाजार के लिए खेती करते हैं वहीं अशोक यादव खेती, और बागवानी का अनूठा माडल अपनाए हुए हैं। इन्होंने अपनी कुल जमीन को तीन भागों में बांट रहा है। जमीन के एक तिहाई हिस्से में उन्होंने विभिन्न प्रकार के पौधों की बागवानी लगाई है तो दूसरा भाग जैविक विधि से खेती करते हैं। तीसरे भाग में फूलों, केला व सूरन व अन्य सब्जियों की खेती करते हैं।

जिला मुख्यालय से दक्षिण दिशा में इलाहाबाद मार्ग पर पकड़ी ब्लाक से कुंवरदा मार्ग पर लगभग दो किमी दूर इंटर कालेज मीरगंज के निकट स्थित अपने नए आवास पर मकान के सामने ही हरे-भरे व फलदार पौधे से शानदार बगीचा तैयार किया है। साथ मकान के पीछे ही गेंदा के फूलों की शानदार खेती से गांव महक रहा है। मौसमी सब्जी की खेती के माध्यम से अच्छी आमदनी हो जाती है। इनकी बागवानी व खेती की प्रगति से जिले का कृषि महकमा व उद्यान विभाग भी गदगद है।

अशोक ने बताया कि राज कालेज से पढ़ाई के दौरान से ही बागवानी का शौक मन में था। जीव विज्ञान का छात्र था। मुझे वनस्पति विज्ञान अच्छा लगता था। पढ़ाई के दौरान ही उद्यान विभाग से संपर्क बनाया। बचपन से ही मेरी यही इच्छा थी कि चारों ओर सब जगह बस हरियाली ही हरियाली दिखे। पिता स्वर्गीय प्यारे लाल की प्रेरणा से घर पर ही आम, अमरुद, आंवला, मुसम्मी, नीबू, पपीता, बेल, अनार, बालम खीरा जैसे पेड़ों को लगाकर बागवानी शुरू कर दी। फिर धीरे-धीरे केला, सूरन व अन्य मौसमी सब्जियों की खेती करने लगे।

राज्य सरकार कर चुकी है सम्मानित

पारंपरिक व आधुनिक खेती के मिश्रण से बेहतरीन खेती करने पर अशोक को राज्य सरकार व जिला प्रशासन द्वारा कई बार सम्मानित किया गया है। केले की खेती के लिए तत्कालीन जिलाधिकारी गौरव दयाल ने इन्हें जिले के टाप 10 प्रगतिशील किसानों में चयन किया था। कृषि विभाग व उद्यान विभाग द्वारा भी कई वर्ष तक लगातार इनको सम्मानित किया गया। विगत वर्ष फैजाबाद में नरेन्द्र देव विश्वविद्यालय के कुलपति ने इनको सम्मानित किया। वर्ष 2011-12 में वाराणसी में लगे शाक, भाजी, फल एवं पुष्प प्रदर्शनी में केला व सूरन की खेती के लिए सम्मानित किया गया। विगत वर्ष ही चंडीगढ़ में आयोजित किसान मेला में सम्मानित करने के लिए इनको बुलाया गया लेकिन बाहर रहने के कारण वे वहां नहीं पहुंच सके।


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