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करोड़ों खर्च के बाद भी अपेक्षित लाभ नहीं

टाप बॉक्स -------- जननी सुरक्षा योजना ------------- नहीं थम रही असुरक्षित हाथों से प्रसव की प

By Edited By: Published: Thu, 01 Dec 2016 07:00 PM (IST)Updated: Thu, 01 Dec 2016 07:00 PM (IST)

टाप बॉक्स --------

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जननी सुरक्षा योजना

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नहीं थम रही असुरक्षित हाथों से प्रसव की परंपरा

जौनपुर : प्रसव के दौरान होने वाली मौतों को रोकने के लिए सरकार विभिन्न योजनाएं चला रही है। करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी अपेक्षित लाभ नहीं मिल पा रहा है। अभी भी अप्रशिक्षित लोगों द्वारा प्रसव कराया जा रहा। स्वास्थ्य विभाग की इस चाल से शत-प्रतिशत सुरक्षित प्रसव में कई साल लग जाएंगे। विशेषज्ञ महिला चिकित्सकों की कमी और जागरूकता का अभाव प्रमुख कारण बन रहा है।

देश में हर साल प्रसव के दौरान आने वाली समस्याओं के कारण बड़ी संख्या में महिलाओं की मृत्यु हो जाती है। इसके चलते शिशुओं की मृत्यु दर भी अधिक है। प्रसव के समय होने वाली मौतों को कम करने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय जननी सुरक्षा योजना चला रहा है। इस योजना के तहत सभी गर्भवती महिलाओं को मातृत्व संबंधी सेवाएं मुफ्त प्रदान करने के साथ ही गर्भावस्था संबंधी खर्च को पूरा करने के लिए नकद धनराशि भी दी जा रही है। अस्पतालों पर आने-जाने का किराया देने के साथ ही एएनएम व आशा को प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। वर्ष 2005 से चल रही इस योजना का अपेक्षित असर नहीं दिख रहा है। आज भी गर्भवती महिलाएं नीम-हकीम चिकित्सकों या दाई की गिरफ्त में हैं। जो नीम-हकीम खतरे जान बनी हुई हैं। अप्रशिक्षित लोगों से प्रसव कराने में अनपढ़, गरीब तबके की महिलाएं अधिक हैं।

जनपद में स्वास्थ्य विभाग की स्थिति पर नजर डालें तो अधिकांश अस्पतालों में महिला चिकित्सक नहीं हैं। जहां तैनाती है वह नियमित अस्पताल नहीं आतीं। ग्रामीण अंचल के अधिकांश अस्पतालों में तो चिकित्सक रात्रि विश्राम नहीं करते हैं। मजबूर होकर गरीब-गुरबों को अप्रशिक्षित हाथों में प्रसव कराना पड़ता है। प्रसव के दौरान होने वाली मौतों के कारण आए दिन हंगामा व तोड़फोड़ हो रहा है। इसके बाद भी व्यवस्था में सुधार नहीं किया जा रहा।

जननी सुरक्षा योजना की जनपद में स्थिति:-

संस्थागत प्रसव का लक्ष्य-84680

अब तक हुए सुरक्षित प्रसव-48078

सरकारी अस्पतालों में प्रसव-34589

प्राइवेट अस्पतालों में प्रसव-13489

जननी सुरक्षा योजना का लक्ष्य-57414

जननी सुरक्षा योजना की लाभार्थी-34589

भुगतान से वंचित पात्र-4099

बढ़ रही जागरूकता

मुख्य चिकित्साधिकारी डा.रवींद्र कुमार ने कहा कि सुरक्षित प्रसव के प्रति लोगों में तेजी से जागरूकता बढ़ रही है। जिसके चलते मातृ-शिशु मृत्यु दर में काफी कमी आई हैं। उन्होंने बताया कि नेशनल एम्बुलेंस सेवा के तहत जिले में 44 एम्बुलेंस हैं। सूचना मिलने पर यह एम्बुलेंस गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए अस्पताल और प्रसव के बाद घर तक छोड़ती हैं। इतना ही नहीं बीमार शिशुओं को एक साल तक उपचार के लिए अस्पताल लाने-ले जाने की सुविधा दी जा रही है।


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