चार रामायण के समावेश से होती है छाछो में रामलीला
120 साल से परंपरा को निभा रहे ग्रामीण, हर वर्ष मंचन प्रोजेक्टर के इस दौर में भी पात्रों को कंठस्थ
120 साल से परंपरा को निभा रहे ग्रामीण, हर वर्ष मंचन
प्रोजेक्टर के इस दौर में भी पात्रों को कंठस्थ रहता है अपना पाठ
जौनपुर : मछलीशहर तहसील क्षेत्र के छाछो गांव में चार रामायण के समावेश से रामलीला का मंचन किया जाता है। हर वर्ष नवरात्र में किए जाने वाले रामलीला का मंचन कब से हो रहा है यह सही जानकारी किसी को भी नहीं है, ¨कतु अनुमान लगाया जा रहा है कि 120 वर्ष पहले से ही इस परंपराओं का निर्वहन किया जा रहा है, जिसकी अलग पहचान है। गांव के बच्चे बुजुर्गों में इसे लेकर महीने भर पहले से ही उत्साह देखने को मिलने लगता है, जो समाज को अच्छा संदेश देने का कार्य करता है।
आदर्श रामलीला समिति के बैनर तले इस रामलीला का मंचन राम चरित मानस, राम यश दर्पण, राम रहस्य नाटक और राधेश्याम के समावेश से किया जाता है। इस समिति के पात्रों की विशेषता यह है कि प्रोजेक्टर के इस युग में भी उन्हे अपना पाठ कंठस्थ होता है, जो मंच पर आने के बाद बड़ी सहजता से अपनी भूमिका को अदा करते है। पात्रों की कला को देखने के बाद लोग भक्तिभाव में डूब से जाते है। नारद मोह से लेकर मेघनाथ वध तक के दृश्यों का सजीव मंचन देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते है। गांव के लोग आजादी के पहले से चले आ रहे इस रामलीला को अपनी परंपरा मानते है, जिसे निभाने के लिए वे महीने पूर्व से ही तैयारी शुरू कर देते है। पात्रों को उनका पाठ बकायदा सामूहिक बैठक करने के बाद निर्णय लेकर दिया जाता है। संबंधित पात्रों का रिहर्सल एक पखवारे पहले से ही शुरू करा दिया जाता है, जो दिन और रात में तीन-तीन घंटे तक कराया जाता है। इसी का नतीजा होता है कि सभी को अपना पाठ याद हो जाता है।
किशोर ही बनते हैं श्रीराम, लक्ष्मण और सीता
इस रामलीला की एक और विशेषता है। यहां उम्र और शक्ल के हिसाब से पात्रों का चयन किया जाता है, जो अपने किरदार को निभाते है। राम लक्ष्मण और सीता का किरदार किशोर अवस्था के बच्चों को ही दिया जाता है। व्यवस्थापक दिनेश शुक्ला बताया कि इस बार रामलीला एक अक्टूबर से शुरू हो रहा है। इसकी तैयारियां पूरी कर ली गई है। एक पखवारे पहले से ही पात्रों को रोजाना रिहर्सल कराया जा रहा है।