21वीं सदी में भी भविष्यवाणी पर निर्भर हैं अन्नदाता
कैरीकेचर लगाएं ----------- - मौसम संबंधी जानकारी को जिले में नहीं है व्यवस्था जौनपुर: शासन-प्
कैरीकेचर लगाएं
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- मौसम संबंधी जानकारी को जिले में नहीं है व्यवस्था
जौनपुर: शासन-प्रशासन की उदासीनता कहें या लापरवाही, जिले का अन्नदाता 21वीं सदी में भी अनुमान पर निर्भर है। समय से मौसम संबंधी जानकारी न होने के कारण किसान अनुमान पर फसलों की प्ला¨नग करता है। जिसके चलते कभी-कभी उसे घाटा भी उठाना पड़ता है।
जनपद में मौसम संबंधी वेधशाला नहीं है। कृषि विभाग आत्मा योजना के तहत तहसील मुख्यालयों में तापमान, आर्द्रता, वायुदाब, वर्षा आदि नापने का यंत्र लगाया है लेकिन देखरेख के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति न होने के कारण यह व्यवस्था औचित्यहीन है।
मौसम की जानकारी हेतु राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत सूचना एवं संचार तकनीक के अंतर्गत जिला मुख्यालय सहित सभी ब्लाकों में मौसम संबंधी जानकारी के लिए संयंत्र लगाए गए थे। सरकार द्वारा इस योजना को बंद कर दिया गया है। इतना ही नहीं कृषि विज्ञान केंद्र बक्शा पर उपकार योजना के अंतर्गत तीन साल पूर्व वेधशाला स्थापित करने के लिए धन भी स्वीकृत हुआ है। बंगलौर से आई टीम द्वारा सर्वे भी किया गया लेकिन अवरोध के चलते यंत्र नहीं लग सके। मौसम संबंधी जानकारी समय से न उपलब्ध होने के कारण किसान फसलों की प्ला¨नग नहीं कर पाता है।
बंद हुई आईसीटी योजना
जौनपुर: केंद्र सरकार द्वारा पांच साल से जिले में चल रही आईसीटी योजना बंद कर दी गई है। जिसके चलते किसानों को नवीनतम तकनीकी जानकारी देने की मंशा पर पानी फिर गया है। बताते हैं कि वर्ष 2007 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत सूचना एवं संचार तकनीक विभाग स्थापित किया गया था। इसके तहत किसानों को खेती की नई-नई तकनीक बताने के साथ ही मछली, पशुपालन, मुर्गी पालन आदि की भी जानकारी दी जाती थी।
आईसीटी योजना के जिला प्रभारी के अतिरिक्त सभी 21 ब्लाकों में मानदेय पर ब्लाक प्रभारी तैनात थे। जो ब्लाक के 16 गांवों का चयन कर किसानों के खेत पर जाकर कम लागत में अधिक उत्पादन की जानकारी देने के साथ ही फसलों में लगने वाले रोगों और उससे बचाव के उपाय बताते थे। इतना ही नहीं हर ब्लाक में मौसम संबंधी जानकारी हेतु संयंत्र लगाए गए थे। जहां हर दिन तापमान, आर्द्रता, वायुदाब, दिशा, वर्षा आदि रिकार्ड कर दिल्ली स्थित मुख्य कार्यालय पर भेजा जाता था। वहां से विशेषज्ञों द्वारा आंकलन कर मोबाइल पर एसएमएस के जरिए महत्वपूर्ण जानकारी किसानों तक पहुंचाई जाती थी। इसके लिए हर ब्लाक के 250 से 300 किसानों का नंबर विभाग में फीड था। पांच साल का निर्धारित समय पूरा होने के बाद अप्रैल 2012 से आईसीटी योजना बंद कर दी गई है। सरकार से इस निर्णय के चलते किसानों को खेती की तकनीकी जानकारी देने की मंशा पर पानी फिर गया है।
केबीके पर लगेगा मौसम मापी यंत्र
बक्शा क्षेत्र के भिवरहां स्थित कृषि विज्ञान केंद्र पर मौसम संबंधी यंत्र लगाया जाएगा। इसके लिए बीस लाख रुपये स्वीकृत हुआ है। पहली किश्त के रूप में पांच लाख रुपये अवमुक्त भी कर दिया गया है। केबीके के कार्यक्रम समन्वयक डा.सुरेश कन्नौजिया ने बताया कि प्रोजेक्ट बनाकर सर्वे का कार्य पूरा कर लिया गया है। बीएचयू के वैज्ञानिक की देखरेख में शीघ्र ही संयंत्र लगाए जाएंगे।