सावधान! 25 रेल फाटकों पर यमराज की नजर
जौनपुर : जिले के 25 मानव रहित रेलवे क्रा¨सग पर छोटे-बड़े हादसे होते रहते है। यूं कहे कि इन रेलवे क्रा
जौनपुर : जिले के 25 मानव रहित रेलवे क्रा¨सग पर छोटे-बड़े हादसे होते रहते है। यूं कहे कि इन रेलवे क्रा¨सगों पर ट्रेन आने के साथ ही यमराज की नजर रहती है। इन रास्तों से इस समय जो सावधान हुआ वह बच गया और जो जरा सी लापरवाही किया वह फंस गया। इसके लिए जिम्मेदार कौन है, यही इस समय सबसे बड़ा सवाल है। हालांकि रेलवे के लोग इसे अपनी गलती न मानकर मुसाफिरों पर मनमानी करने का परिणाम बताते है, ¨कतु लोग रेलवे को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते है।
भदोही में हुए हादसे के बाद लोगों का ध्यान इसी ओर बंट गया है। लापरवाही के चलते जिले के अधिकांश मानव रहित रेलवे क्रा¨सगों पर अब तक कई छोटे-बड़े हादसे हो चुके है। जानकारों की माने तो जिले में जंघई से जफराबाद, जंघई से मुंगराबादशाहपुर, जफराबाद से लंबुआ, जौनपुर से बाबतपुर और जौनपुर से केराकत के बीच में 25 मानव रहित रेलवे क्रा¨सग है। हालांकि विभाग के लोग इसकी पुष्टि करने से कतराते है। इसके पीछे क्या कारण है यह तो वही जानें, ¨कतु इन रेलवे क्रा¨सगों पर मौत का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। वर्ष में कई बार एक-दो मौत होने की खबर सुनने को मिलती है। बावजूद इसके इन क्रा¨सगों पर गेट नहीं लगाए जा रहे है। जिसके चलते घटनाएं होती रहती हैं।
उधर गेट न लगाने वाला रेलवे विभाग गेट मित्र तैनात किए जाने का दावा करता है, जो ट्रेन को देखते हुए इन रास्तों से गुजरने वालों को जागरूक करते है। इनका यह भी कहना होता है कि जो इनकी बातों को अनसुना करते हैं वे उसका खामियाजा भुगते है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जिम्मेदार कौन है यह गेट मित्र की बातों को अनसुना करने वाले या फिर कर्मचारी की तैनाती होने के बाद भी एक पोल लगाकर रास्ते को न बंद कराने वाले। अब इस पर यह कहा जाएगा कि यह विभागीय मजबूरी है, तो सवाल उठता है कि आखिर कोई तो इसका निदान होगा। इसे विभाग क्यू नहीं करता है।
लापरवाही या मजबूरीइसे रेलवे विभाग की लापरवाही कहें या फिर मजबूरी। जिसके कारण जिले के कई ऐसे मानव रहित रेलवे क्रा¨सग पर गेट मित्र तक नहीं तैनात किया गया है। जिसके कारण लोगों को हमेशा खतरा बना रहता है, कई बार घटनाएं भी हो चुकी है। जिसमें बेगुनाहों की जान भी चली गई। बावजूद इसके स्थिति जस की तस बनी हुई है। बरसठी क्षेत्र के कटवार स्टेशन के पास कटवार से पुरेसवा बसहरा जाने वाली सड़क पर हमेशा गाड़ियों का आना-जाना रहता है। वहीं गोठाव गांव से बरसठी बाजार जाने वाली सडक पर भी लोगों को मानव रहित फाटक से होकर ही गुजरना पडता है। बरसठी बाजार से परियत वाली सड़क पर बिना फाटक के लोग आते जाते है। इस फाटक पर करीब 15 वर्ष पहले छ: लोग अपनी जान भी गवां चुके है। आश्चर्य की बात तो यह कि इन फाटकों पर गेट मैन नहीं है। कुछ ऐसी ही स्थिति नेवादा मुखलिसपुर, विठुआकला, बबुरा, साढापुर, बछुआर, केवटलीकला, करमपुर, बेलापार, उटरुकला व हैदरपुर की भी है। जहां लोग हमेशा डरते हुए क्रा¨सग से गुजरते है। मुंगराबादशाहपुर क्षेत्र के गौरैयाडीह मानवरहित रेलवे क्रा¨सग व गोधुआ मानव रहित रेलवे क्रा¨सग पर कई बार हादसे हो चुके हैं। जिसमें कई लोगों की जान जा चुकी है। यहां गेट मित्र तैनात करने की मांग की गई लेकिन रेल प्रशासन ने गंभीरता से नहीं लिया। स्टेशन अधीक्षक विनोद यादव कहते है कि मंजूरी न मिलने के कारण गेटमित्र तक नहीं तैनात किया गया है।
हादसे के बाद आई याद फिर गए भूल
हादसा होने के बाद रेलवे विभाग की तंद्रा टूटती है, ¨कतु लोगों के आक्रोश के साथ-साथ हरकत में आया रेल महकमा सुस्त हो जाता और स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं है। इसी की बानगी देखी जा सकती है खलसहा मेँ। जहां 19 मई 2014 को राज्य मंत्री सतई राम की गनर सहित मौत हो गई थी। इसके बाद गेट लगाने की कवायद शुरू हुई, केबिन बनाई गई और गेट लगाए गए, लेकिन कर्मचारी की तैनाती न होने के कारण गेट को आधे से अलग कर नहीं बंद किया जाता है। जिसके कारण इधर से गुजरने वालों में हमेशा डर लगा रहता है। हालांकि रेलवे विभाग के लोग इस व्यवस्था को गेट मित्र के हाथ सौंपने की बात कहते है।