आखिर कहां जा रहा मेंटेनेंस खर्च!
जौनपुर : जिला व ब्लाक मुख्यालय पर अधिकारियों, कर्मचारियों के मकान पूरी तरह से जर्जर हो चुके है। जिसक
जौनपुर : जिला व ब्लाक मुख्यालय पर अधिकारियों, कर्मचारियों के मकान पूरी तरह से जर्जर हो चुके है। जिसके चलते उनका परिवार मौत के साएं में ¨जदगी गुजारने को विवश है। प्रतिमाह उनके वेतन से मेंटेनेंस खर्च के नाम पर काटा जा रहा है। कर्मचारियों के मकान की मरम्मत व रंगाई-पुताई डेढ़ दशक बीत जाने के बाद भी नहीं हो सकी। आखिर प्रश्न यह खड़ा हो रहा है कि मेंटेनेंस का पैसा कहां जा रहा है। जिम्मेदार भी इस पर कुंडली मारे बैठे है।
अधिकारियों व कर्मचारियों के परिवार को रहने के लिए वर्ष 1968 में आवास बनवाया गया। पुराने स्टाइल के बने यह भवन आज तक उसी डिजाइन में चल रहे है। जिसमें लंबे समय से कर्मचारी व उनका परिवार रह रहा है। जिसमें अधिकारियों के करीब 70 से 72 आवास कचहरी ट्रांजिट हास्टल के पास, खरका कालोनी, एसपी बंगले के सामने है। समूह ग के कर्मचारियों का आवास कलेक्ट्रेट में 72, अनुपम के सामने 14, चतुर्थ श्रेणी का आवास भी अनुपम के सामने 80 है। मकान कम होने के कारण समूह ग के कर्मचारी परिवार के साथ चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के आवास में रहने को विवश है। समूह ग के कर्मचारियों की तनख्वाह से प्रतिमाह मेंटेनेंस खर्च के नाम पर 495 रुपये काट लिए जाते है। यही शुल्क औसतन प्रत्येक अधिकारियों व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की तनख्वाह से कट रहा है। जिसके मरम्मत की जिम्मेदारी पीडब्लूडी विभाग की होती है। इसके बाद भी अधिकतर मकानों का 15 वर्षो से मरम्मत नहीं कराई गई है।आए दिन छत की गिरती है चप्पड़:- इन मकानों की स्थिति का आलम यह है कि रात को सोते समय व रसोईघर में भोजन पकाते समय कब छत से चप्पड़ गिर जाए, पता नहीं चलता है। इन जर्जर घरों में रहने वाले लोग आशंकित है कि कभी भी बड़ा हादसा हो जाएगा। कोई और आवास न होने के कारण मजबूरी में लोग इन घरों में रहने को विवश है।
मरम्मत सिर्फ खरका कालोनी व जजेज कालोनी में:- मरम्मत की बात की जाए तो सिर्फ खरका कालोनी व जजेज कालोनी में अधिकारियों के आवास की मरम्मत की जाती है। जिससे इन दोनों इलाकों के मकान हमेशा दुरूस्त रहते है।
एई को भेजकर भवनों का कराता हूं चिन्हीकरण
इस बाबत अधिशासी अभियंता प्रांतीय खंड केजी सारस्वत ने बताया कि वह फिलहाल नए आए हुए है। उन्हें सरकारी आवास के जर्जर होने की कोई जानकारी नहीं थी। मौके पर एई को भेजकर चिन्हीकरण करवाते हैं। इसके बाद जिन जगहों पर मरम्मत की आवश्यकता होगी तुरंत कराई जाएगी।