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शिक्षक की भूमिका में नजर आए राजनाथ

जौनपुर : केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ ¨सह रविवार को टीडी कालेज में संस्थापक शताब्दी समारोह में शामिल ह

By Edited By: Published: Sun, 01 Mar 2015 09:17 PM (IST)Updated: Sun, 01 Mar 2015 09:17 PM (IST)
शिक्षक की भूमिका में नजर आए राजनाथ

जौनपुर : केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ ¨सह रविवार को टीडी कालेज में संस्थापक शताब्दी समारोह में शामिल होने पहुंचे थे। इस दौरान वह अपने उद्बोधन में छात्र-छात्राओं से सीधा संवाद भी करते दिखे। छात्रों से बीच-बीच में सवाल भी किए।

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भाषण की शुरुआत में उन्होंने कहा कि दुनिया के किसी भी नागरिक से पूछा जाए कि सबसे बढि़या राजा कौन था तो अधिकतर लोग एलेक्जेंडर, नेपोलियन का नाम लेंगे। मेरी नजर में सबसे बढि़या राजा रामचंद्र व राजा हरिश्चंद्र थे। दुनिया की सर्वश्रेष्ठ संस्कृति भारत की है। उन्होंने किसी शिक्षक की तरह यह भी जानकारी दी कि जर्मन फिलास्फर ने कहा है कि भारत को समझना है तो एक जन्म कम पड़ जाएगा। इसके लिए भारत में कई जन्म लेने पड़ेंगे। फ्रांस की क्रांति को प्रेरणा देने वाले वल्टेयर का जिक्र करते हुए कहा कि वे मानते थे कि दुनिया में अधिकांश ज्ञान गंगा के किनारे से आया है जिसमें खास तौर पर वाराणसी व जौनपुर है।

उन्होंने छात्रों से द्विघातीय समीकरण के बारे में पूछा। छात्रों के तरफ से जवाब न आने पर उन्होंने स्वयं जवाब भी दिया। इसके जनक प्रख्यात गणितज्ञ श्रीधराचार्य रहे जो भारतीय थे। कहा कि विदेशी लेखक सर विलियम जान्स ने तो यहां तक कह दिया कि संस्कृत ही सारी भाषाओं की जननी रही है। राजनाथ ¨सह ने छात्रों से कहा कि किसी भाषा का ज्ञान होना बुरी बात नहीं है बस इंसान को अपनी भाषा को नहीं भूलना चाहिए।

और जब लगे ठहाके ..

टीडी कालेज के स्थापना शताब्दी दिवस समारोह में अध्यक्षता कर रहे केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ ¨सह जब बोलने के लिए डायस पर आए तो मजाकिया अंदाज में कहा कि संचालक ने मेरा परिचय पूर्व मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री व भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष के रूप में कराया। ऐसा किसी भी कार्यक्रम में शामिल होने वाले अतिथियों के सम्मान में होता है। इसको डें¨टग, पें¨टग और से¨टग कहते हैं। राजनाथ ¨सह के इतना कहते ही लोगों ने ठहाके लगाना शुरू कर दिया।

मराठी व अंग्रेजी में भी बोलीं पूर्व राष्ट्रपति

पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी ¨सह पाटिल ने अपने उद्बोधन में एक बार मराठी और कई बार अंग्रेजी में बोलते हुए उनका अर्थ ¨हदी में भी बताया।

जिले के इतिहास को सराहा

पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल ने अपने उद्बोधन की शुरुआत इस जिले के गौरवमयी इतिहास से की। उन्होंने कहा कि आदि गंगा गोमती के तट के किनारे महान ऋषि मुनियों ने तपस्या की है। यह शर्की काल में शिक्षा का केंद्र रहा है।

55 मिनट देरी से पहुंचे अतिथि

स्थापना शताब्दी समारोह में शामिल होने आई मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी ¨सह पाटिल व केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ ¨सह कार्यक्रम में निर्धारित समय से 55 मिनट देरी से पहुंचे।


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