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लाल बत्ती के साथ 'गुम' हुआ 'भौकाल'

जौनपुर: लाल बत्ती क्या गई कि नेता जी के सत्ता का 'भौकाल' भी जाता रहा। प्रदेश में बहुमत वाली सपा सरका

By Edited By: Published: Thu, 30 Oct 2014 07:06 PM (IST)Updated: Thu, 30 Oct 2014 07:06 PM (IST)

जौनपुर: लाल बत्ती क्या गई कि नेता जी के सत्ता का 'भौकाल' भी जाता रहा। प्रदेश में बहुमत वाली सपा सरकार के पदारूढ़ होते ही रेवड़ी की तरह लाल बत्ती बटने लगी तो इस जिले के भी सत्ता पक्ष से जुड़े नेताओं के अच्छे दिन आ गए। कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव व राज्यमंत्री जगदीश सोनकर के बाद सतई राम यादव, हनुमान प्रसाद, संगीता यादव, राज नारायण बिंद, सतेंद्र उपाध्याय को दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री बनाकर लाल बत्ती वाले सरकारी वाहन से चलने का हक दे दिया गया। इसके साथ ही लैकफेड का उपाध्यक्ष चयनित होने के साथ ही कुंवर वीरेंद्र प्रताप भी 'लाल बत्ती' वाले हो गए।

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सपा के रणनीतिकारों का दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री के बूते जनता पर पकड़ बनाए रखने का मंसूबा लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद ही ध्वस्त हो गया। परिणाम से सन्न सपा नेतृत्व ने नए सिरे से समीक्षा की। पहले संगठन को 'फेटा' गया। इसमें तत्कालीन जिलाध्यक्ष राज बहादुर यादव को पद से हाथ धोना पड़ा।

इस जिले में दर्जा धारी राज्यमंत्रियों की बड़ी तादाद दुर्घटना में मारे गए सतई राम यादव की मौत से कम होना शुरू हुई। इसके बाद राज्यमंत्री का ओहदा पाने के कुछ समय बाद ही सतेंद्र उपाध्याय को इससे हाथ धोना पड़ा। लोकसभा चुनाव के ठीक बाद दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री राज नारायण बिंद से लाल बत्ती वापस ले लिया गया। हालांकि उन्हें जिलाध्यक्ष पद पर स्थापित कर दिया गया। राज्य ललित कला अकादमी की उपाध्यक्ष संगीता यादव के साथ ही अंतत: राजनैतिक पेंशन विभाग के सलाहकार हनुमान प्रसाद से भी राज्यमंत्री का दर्जा वापस ले लिया गया।

इस समय कैबिनेट मंत्री पारसनाथ यादव, राज्यमंत्री जगदीश सोनकर के अलावा लैकफेड के चयनित उपाध्यक्ष कुंवर वीरेंद्र प्रताप सिंह ही लाल बत्ती के हकदार शेष बचे हैं। बताते चलें कि कुंवर वीरेंद्र लाल बत्ती वाहन से चलने के हकदार तो हैं लेकिन उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा हासिल नहीं है।

अब सपा के रणनीतिकारों की इस कवायद का मकसद क्या है वह अपने उद्देश्य में कहां तक कामयाब हो सकेंगे इसे लेकर सियासी खेमे में एक नई बहस छिड़ गई है।


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